6 महीने के अंदर तोड़ें सेवन वंडर्स पार्क, सुप्रीम कोर्ट का भजनलाल सरकार को आदेश; फूड कोर्ट भी हटाएं
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान सरकार को छह महीने के अंदर सेवन वंडर्स पार्क को गिराने और वैशाली नगर में लव-कुश गार्डन में बने फूड कोर्ट को 7 अप्रैल, 2025 तक ध्वस्त करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान सरकार को छह महीने के अंदर सेवन वंडर्स पार्क को गिराने और वैशाली नगर में लव-कुश गार्डन में बने फूड कोर्ट को 7 अप्रैल, 2025 तक ध्वस्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने ये निर्देश अजमेर में आना सागर झील के आसपास वेटलैंड और ग्रीन बेल्ट में निर्माण से संबंधित चिंताओं पर सुनवाई करते हुए जारी किए।
अप्रैल 2023 में अजमेर नगर निगम के पूर्व पार्षद अशोक मलिक (जाट) ने वेटलैंड नियमों और शहर के मास्टर प्लान के उल्लंघन का हवाला देते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी। दिसंबर 2023 में एनजीटी ने अनधिकृत निर्माणों को हटाने का आदेश दिया, लेकिन इस निर्देश के बावजूद प्रशासन ने पार्क का विकास करना जारी रखा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय लोक मजदूर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इस मामले में वकील बाबूलाल साहू ने कहा कि उनका अगला कदम सेवन वंडर्स पार्क के लिए अवैध रूप से वेटलैंड भूमि आवंटित करने वाले अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना है। वह सत्ता के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार लोगों से वित्तीय वसूली के लिए मुकदमा दायर करने की योजना बना रहे हैं। अदालत में पेश किए गए हलफनामे में राज्य सरकार ने प्रभावित भूमि के आकार से दोगुने आकार का आर्टिफिशियल वेटलैंड एरिया बनाकर वेटलैंड को हुए नुकसान की भरपाई करने का वादा किया है।
इसके बाद अदालत ने सरकार को 7 अप्रैल तक नई वेटलैंड के लिए विस्तृत कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया। जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां ने राज्य सरकार और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के हलफनामों के आधार पर आदेश जारी किए। मामले में याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने ठोस कार्ययोजना की जरूरत पर जोर दिया। मलिक ने कहा, 'हमने इस निर्माण को चुनौती दी क्योंकि यह सीधे तौर पर पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करता है। राज्य सरकार ने छह महीने के अंदर सेवन वंडर्स पार्क को ध्वस्त करने और प्रभावित क्षेत्र का दोगुना हिस्सा देकर खोए हुए वेटलैंड की भरपाई करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह परियोजना, जिसकी लागत करदाताओं के लगभग 58 करोड़ है, अवैध और अन्यायपूर्ण दोनों है।'