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भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए 'जादूगर', उपुचनाव के 4 बागियों को मनाया; BJP को बड़ी राहत

  • राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रदेश की राजनीति में नए जादूगर बनकर उभरे हैं। उपचुनाव में चार विधानसभा सीटों पर पार्टी के बागियों को मनाकर उन्होंने ये साबित कर दिया है।

Mohammad Azam वार्ता, जयपुरSun, 3 Nov 2024 10:26 AM
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राजस्थान में आगामी 13 नवंबर को होने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। इस दौरान राजस्थान की राजनीति में एक नया दौर देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा बदलते राजनीतिक परिवेश के बीच राजनीति के नये जादूगर के रुप में उभरकर सामने आये हैं। राजस्थान की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनके कौशल का उदाहरण देखने को मिला है।

कैसे बने जादूगर

शर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद पहली बार में ही मुख्यमंत्री बनने के बाद कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लेकर जनता से खूब वाहवाही बटोरी। इसके बाद आगामी 13 नवंबर को होने उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई उम्मीदवारों के खिलाफ उठे बगावती सुर थामने में कामयाब रहे। साथ ही बगावत पर उतारु पार्टी के नेताओं से मुलाकात और उन्हें समझाकर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में उतारकर बदलते राजनीतिक परिवेश में अपने को अनुभवी और राजनीति के खिलाड़ी की तरह साबित करने में भी कामयाब रहे।

इस उपचुनाव में झुंझुनूं, रामगढ़, देवली-उनियारा और सलंबूर से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा के प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत के सुर उठे थे। उपचुनाव में देवली-उनियारा से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ भी बगावत के सुर उठे। इसमें भजनलाल शर्मा की सूझबूझ और सियासी जादूगरी के चलते भाजपा के बगावत करने वाले पार्टी के चारों नेताओं को न केवल समझा लिया गया बल्कि वे पूरी तरह पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में भी जुट गए हैं।

राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पार्टी के नेता और उनियारा-देवली से टिकट की मांग करने वाले नरेश मीणा के बगावती सुर इतने बलवती होकर सामने आये हैं कि उन्होंने अधिकृत पार्टी प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल कर दिया और अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया। वो पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बाद श्री नरेश मीणा के समर्थन में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के संयोजक हनुमान बेनीवाल, निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी और भारत आदिवासी पार्टी (बाप) पार्टी उनके समर्थन में आ गए।

राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा होने लगी हैं कि कई वर्षों के राजनीति में अनुभवी और तीन बार मुख्यमंत्री होने का गौरव रखने वाले सियासत के जादूगर अशोक गहलोत की कांग्रेस पार्टी एक बागी के बगावती सुर नहीं रोक पाई और महज 10-11 महीने पुराने और पहली बार के विधायक बनने के बाद बने मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के चार-चार बगावत करने वाले नेताओं को न केवल समझाने में कामयाब रहे बल्कि ये नेता पार्टी उम्मीदवारों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल पड़े।

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में बनाये गये नये प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की भी इसके लिए पीठ थपथपाई जा रही है। इसके अलावा नागौर जिले की खींवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ कोई बगावती तेवर तो नजर नहीं आए, लेकिन वर्ष 2008 से यह सीट अस्तित्व में आई है, तब से राजनीतिक दबदबा रखने वाले हनुमान बेनीवाल के सामने दो बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रुप में चुनौती देकर दूसरे स्थान पर रहने वाले दुर्ग सिंह चौहान को इस बार भाजपा के साथ जोड़कर भी एक नई कामयाबी हासिल की गई है। इससे पिछले विधानसभा चुनाव में महज करीब दो हजार मतों से पिछड़े पार्टी उम्मीदवार रेवंतराम डांगा को इस बार मजबूती मिलने की संभावना बलवती हुई हैं। यहां भी मुख्यमंत्री की लोग चर्चाओं में तारीफ भी कर रहे हैं।

जब भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया तब भी पार्टी में बगावती सुर नहीं उठ पाए और न ही इसके बाद हुए चुनाव में किसी नेता के बगावती सुर सामने आए। इससे भजनलाल शर्मा नए सियासी जादूगर के रुप में उभरकर सामने आए हैं।

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