अलवर में RR कॉलेज परिसर में घूम रहा बघेरा, पिंजरे में पैर रख कर वापस लौटा
- राजस्थान के सरिस्का के बफर जोन के जंगल से अलवर शहर के आरआर कॉलेज के परिसर के जंगल में घूम रहा लेपर्ड रात को पिंजरे में नहीं आया। यहां दो पिंजरे रखे हैं। एक में मेमना तो दूसरे में बकरा था। एक पिंजरे के पास जाकर लेपर्ड ने हरकत की तो पिंजरे का मुंह पहले ही बंद हो गया।
राजस्थान के सरिस्का के बफर जोन के जंगल से अलवर शहर के आरआर कॉलेज के परिसर के जंगल में घूम रहा लेपर्ड रात को पिंजरे में नहीं आया। यहां दो पिंजरे रखे हैं। एक में मेमना तो दूसरे में बकरा था। एक पिंजरे के पास जाकर लेपर्ड ने हरकत की तो पिंजरे का मुंह पहले ही बंद हो गया। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबकिकॉलेज परिसर में लगाए गए पिंजरों के पास से पैंथर गुजरा, लेकिन इधर-उधर भी नहीं देखा।
मुर्गा, मेमना व बकरा पिंजरे में ही बंधे रहे। सीसीटीवी में हर दिन की तरह तस्वीर आ रही हैं। पैंथर के स्वभाव से विभाग को लग रहा है कि यह पैंथर की टेरेटरी है। दिन में घनी झाड़ियों में रहता है। दिन में जनता के मूवमेंट के चलते वह नहीं निकलता। अब सवाल यह भी उठता है कि वन विभाग टाइगर, पैंथर जैसे मुय वन्यजीवों की मॉनिटरिंग क्यों नहीं कर पा रहा।
कॉलेज परिसर में विद्यार्थियों की आवाजाही हो रही है। ऐसे में उन्हें अलर्ट किया गया है। इसके लिए कॉलेज में पोस्टर लगाए गए हैं ताकि विद्यार्थी अलर्ट रहें। अलकापुरी, बैंक कॉलोनी, शांतिकुंज, मोती डूंगरी कॉलोनी के लोगों में दहशत हर दिन बढ़ रही है। उन्होंने सुबह-शाम टहलना बंद हो गया है। रात को भी लोग नहीं निकलते। घर का दरवाजा भी सुबह डरकर खोलते हैं।
लोगों को भी अलर्ट किया गया है। वन विभाग के अफसरों ने नया खुलासा भी किया है। अफसर मान रहे हैं कि आरआर सर्किल में यह पैंथर अचानक नहीं आया। यहीं पर यह निवास कर रहा है। किसी व्यक्ति को दिखा तो विभाग के संज्ञान में आया। यही कारण है कि यह पकड़ में नहीं आ रहा। रात भी वह अपने रुटीन पथ पर गुजरा, लेकिन पिंजरों की ओर नहीं देखा।
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