सुखबीर सिंह बादल की क्या गलती, जिस पर काट रहे जूते और बर्तन साफ करने की सजा
- सुखबीर सिंह बादल को सोमवार को अकाल तख्त की ओर से सजा सुनाई गई थी। करीब तीन महीने पहले ही वह तनखइया घोषित किए गए थे और फिर उन्हें इस मामले में स्वर्ण मंदिर आकर बर्तन धोने और जूते साफ करने की सजा सुनाई गई। उनके साथ ही 2007 से 2017 तक पंजाब सरकार की कैबिनेट में रहे मंत्रियों को भी सजा दी गई है।
अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर परिसर के गेट पर गोली चली है। इस गोलीकांड में वह बाल-बाल बच गए और हमलवार नारायण सिंह चोहरा को लोगों ने पकड़ लिया है। फिलहाल हमलावर बुजुर्ग पुलिस की हिरासत में है, जिसे खालिस्तानी विचारधारा का समर्थक बताया जा रहा है। सुखबीर सिंह बादल को सोमवार को अकाल तख्त की ओर से सजा सुनाई गई थी। करीब तीन महीने पहले ही वह तनखइया घोषित किए गए थे और फिर उन्हें इस मामले में स्वर्ण मंदिर आकर बर्तन धोने और जूते साफ करने की सजा सुनाई गई। उनके साथ ही 2007 से 2017 तक पंजाब सरकार की कैबिनेट में रहे मंत्रियों को भी सजा दी गई है।
दरअसल यह मामला डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2007 के ईशनिंदा के मामले में माफी देने से जुड़ा है। यह मामला जब सामने आया था, तब राज्य में अकाली दल की सरकार थी। आरोप है कि सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरमीर राम रहीम सिंह को माफी दे दी थी। यह गलती थी और इसके लिए उन्हें धार्मिक सजा दी गई है। उनके साथ ही सुखदेव सिंह ढींढसा, सुरजीत सिंह राखड़ा, बिक्रमजीत सिंह मजीठिया समेत कई अन्य नेताओं को भी सजा दी गई है, जो उस दौर की सरकार में मंत्री रहे थे।
गले में तख्ती भी लटकाई गई, गेट पर निगरानी का भी काम
इन सभी लोगों के गले में एक तख्ती भी लटकाई गई है, जिसमें लिखा गया है कि वे तनखइया घोषित हैं और उनकी क्या गलती थी। इसी सजा के दौरान सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के गेट पर वीलचेयर पर बैठे थे। उनका काम आज गेट पर निगरानी रखना था। तभी उन पर बुजुर्ग ने गोली चला दी। लेकिन गोली चलने से पहले ही कुछ लोगों ने बुजुर्ग को पकड़ लिया, जिससे गोली हवा में चली और सुखबीर बादल बाल-बाल बच गए। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने ऐलान किया कि प्रकाश सिंह बादल को मिली फख्र-ए-कौम की उपाधि भी वापस ली जाती है।
क्यों वीलचेयर पर सजा काट रहे हैं सुखबीर सिंह बादल
इन लोगों को गुरुद्वारे में एक घंटे कीर्तन सुनने को भी कहा गया है। आमतौर पर सिख मजहब में धार्मिक सजा के तहत गुरुद्वारे में सेवादारी की सजा दी जाती रही है। मजहबी मामले में किसी गलती पर ऐसी सजा दी जाती है और सुखबीर सिंह बादल भी उसी सजा के तहत बुधवार को सुबह स्वर्ण मंदिर के बाहर बैठे और तभी उन पर हमला किया गया। बता दें कि सुखबीर सिंह बादल के पैर में भी फ्रैक्चर है और इसके चलते वह वीलचेयर पर ही बैठे थे। वहीं बुजुर्ग अवस्था के चलते सुखदेव सिंह ढींढसा भी वीलचेयर पर ही हैं।
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