चैत्र नवरात्रि का समापन होने वाला है। 5 अप्रैल को अष्टमी और 6 अप्रैल को नवमी तिथि है। नवरात्रि के पर्व में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व है क्योंकि इसी दिन कुंवारी कन्याओं के रूप में माता रानी की पूजा की जाती है, उनको भोज कराया जाता है और फिर दक्षिणा देकर उनकी विदाई की जाती है। कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रि की पूजा और व्रत पूर्ण माना जाता है। जैसा कि सभी जानते हैं नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व है, ऐसे में कन्या पूजन के दौरान कुछ चीजों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। चलिए जानते हैं कन्या पूजन के दौरान किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी है।
नवरात्रि का पर्व माता रानी के नौ स्वरूपों को समर्पित है। ऐसे में जब जब अष्टमी और नवमी को कन्या भोज या कंजक भोज किया जाता है, तो उसमें नौ कन्याओं को शामिल करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा कन्या भोज में 2 से 10 साल की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। अगर आपको 9 कन्याएं नहीं मिल रही हैं, तो आप 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं।
नवरात्रि पर्व में कन्या भोज के समय नौ कन्याओं के साथ एक लड़के को भी जरूर बिठाना चाहिए। दरअसल कन्या भोज में शामिल लड़के को लंगूर या भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार लंगूर या भैरव बाबा के बिना कन्या भोज का पूरा फल नहीं मिलता है।
कन्या पूजन में आप जिन कन्याओं और लड़के को आमंत्रित करना चाहते हैं, उन्हें भोज के एक दिन पहले ही आमंत्रण दें। कन्या भोज का फल तभी मिलता है, जब आप स्वयं कन्याओं के घर जाकर आदरपूर्वक उन्हें कन्या भोज के लिए आमंत्रित करते हैं।
कन्या भोज का मतलब देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करना है इसलिए यह कार्य स्वच्छता से किया जाना चाहिए। ऐसे में आप जब भी कन्या भोज या कंजक पूजन करें, तो स्नान आदि करने के पश्चात ही शुरू करें।
कन्या भोज के लिए आप जो भी पकवान बनाएं वो सात्विक होने चाहिए। अधिकतर लोग कन्या भोज के लिए खीर, पूरी, हलवा आदि बनाते हैं। ध्यान रहे की कन्या भोज के लिए जो भी पकवान बनाएं उसमें प्याज, लहसुन और ज्यादा तेल-मसालों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा कन्या भोज में विभिन्न पकवानों के साथ कोई ना कोई फल जरूर शामिल करें।
कंजक पूजन में सिर्फ कन्याओं को भोजन कर देना ही काफी नहीं है, बल्कि भोजन के पश्चात उन्हें कुछ ना कुछ दक्षिणा देना भी जरूरी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दक्षिणा के बिना भी कंजक पूजन पूर्ण नहीं होता है। इसलिए कन्याओं को भोजन करने के पश्चात अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें दक्षिणा दें। आप चाहें तो कन्याओं के लिए कोई उपहार भी खरीद कर ला सकते हैं।