इस देश की आबादी 12 हजार 884 है। आंकड़े बताते हैं कि यहां जनसंख्या वृद्धि दर 1.21 प्रतिशत है। इसे दुनिया का सबसे छोड़ा गणराज्य भी कहा जाता है, जिसके पास 21 वर्ग किमी जमीन है। यहां कम आबादी की वजह आर्थिक चुनौतियों और प्राकृतिक संसाधनों की कमी को माना जाता है।
9 छोटे द्वीपों से मिलकर तुवालू में रहने वालों की संख्या महज 11 हजार 478 है। इसके पास 26 वर्ग किमी जमीन है। माना जाता है कि कारोबारी मार्गों से दूरी भी इसकी कम आबादी की एक वजह है।
दक्षिण प्रशांत के इस क्षेत्र में तीन छोटे द्वीप हैं। इसका कुल क्षेत्र 142 वर्ग कमी है। यहां की आबादी 11 हजार 439 है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
25 वर्ग किमी वाले सेंट बार्थेलेमी में 11 हजार 19 लोग रहते हैं। कहा जाता है कि यहां बड़े उद्योग या खेती की जगह लग्जरी टूरिजम पर फोकस किया जाता है, जो यहां कम आबादी होने की एक वजह है।
इस देश की आबादी 5 हजार 815 है।
90 के दशक में हुए एक ज्वालामुखी विस्फोट ने यहां भयंकर तबाही मचाई थी, जिसके बाद बड़ी संख्या में यहां के रहवासी भाग गए थे। आंकड़े बताते हैं कि अभी यहां 4 हजार 372 लोग रहते हैं।
यहां रहने वाली करीब 3500 लोगों की आबादी मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर है। यहां अधिक बस्ती नहीं होने की एक वजह मुश्किल मौसम को भी माना जाता है।
260 वर्ग किमी वाला नियू प्रशांत क्षेत्र में बसा हुआ है। यहां करीब 1935 लोग रहते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
लगभग 1915 लोगों की आबादी वाला तोकलू कुल 26 वर्ग किमी में बसा हुआ है। यहां समोआ के जरिए नाव से जाया जा सकता है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र देश का दर्जा हासिल है। यहां की आबादी 764 है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 49 हेक्टेयर वाले इस छोटे से स्थान पर कड़े नागरिक कानूनों के चलते ज्यादा आबादी नहीं है।