अरविंद केजरीवाल दिल्ली के CM पद से क्यों देने वाले हैं इस्तीफा; जानें AAP की राजनीतिक गणना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को अचानक दो दिन में अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पूर्व डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया उनके उत्तराधिकारी नहीं होंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को अचानक दो दिन में अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पूर्व डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया उनके उत्तराधिकारी नहीं होंगे, जिन्हें एक महीने पहले जेल से रिहा किया गया था। लगभग छह महीने जेल में रहने के बाद शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आए केजरीवाल ने कहा कि वो और सिसोदिया दोनों दिल्ली शराब नीति मामले में जनादेश मांगेंगे और अपनी बेगुनाही साबित करेंगे। फिलहाल अब तक यह साफ नहीं है कि क्या केवल आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक ही इस्तीफा देंगे, जिससे फिलहाल कार्यवाहक सरकार बनी रहेगी।
‘आप’ सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल का यह कदम दिल्ली में समय से पहले चुनाव की आशंका के अनुरूप है, जिसकी घोषणा दिसंबर में होने वाले महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के मद्देनजर की गई है। तय कार्यक्रम के अनुसार, दिल्ली में चुनाव फरवरी 2025 में होने थे। ल्ली में चुनाव फरवरी 2025 में होने थे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘आप’ के एक सूत्र ने कहा कि पार्टी दिल्ली में जल्द चुनाव कराने के पक्ष में है, ताकि सीएम की लोकप्रियता का लाभ उठाया जा सके, जिसे शुक्रवार को जेल से रिहा होने के बाद और बढ़ावा मिला है।
केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा पार्टी के कम्युनिकेशन हेड और वरिष्ठ नेता विजय नायर को हाल ही में शराब नीति मामले में रिहा किया गया। लंबे समय से सीएम के सहयोगी रहे बिभव कुमार को मई में केजरीवाल के घर पर ‘आप’ की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, उन्हें भी हाल ही में जमानत मिल गई, जबकि वरिष्ठ राज्यसभा सांसद संजय सिंह को इस साल की शुरुआत में शराब नीति मामले में जमानत मिली। इन नेताओं की रिहाई से पार्टी को बढ़ावा मिला है और यह पिछले महीने से चुनावी मोड में है।
केजरीवाल के इस्तीफा देने का फैसला दिल्ली की निर्वाचित सरकार पर लगाए गए दोहरे प्रतिबंधों का भी नतीजा था।
एक वरिष्ठ 'आप' नेता ने कहा, “जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देना जरूरी था, उससे पहले नहीं क्योंकि ऐसा करना कमजोरी का संकेत होता। अब, सीएम बाहर हैं और अपनी भूमिका में बने रह सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से ऐसा करने का फैसला किया है, न कि किसी बाहरी दबाव में। कार्यकर्ता जमीन पर हैं, लेकिन यह सच है कि हम पर बार-बार होने वाले हमलों ने हमें कमजोर स्थिति में पहुंचा दिया है। वरिष्ठ नेता उन अफवाहों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो उनके दूर रहने के दौरान फैलाई गई थीं और वोटर्स से फिर से जुड़ने पर फोकस करेंगे।”
उन्होंने कहा कि यह एक सैद्धांतिक रुख भी है। हमारा मानना है कि दिल्ली के लोग देखेंगे कि न तो सीएम और न ही सिसोदिया को कुर्सी में कोई दिलचस्पी है। वे दिल्ली के लोगों के लिए काम करने आए हैं।
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