Hindi Newsएनसीआर न्यूज़why arvind kejriwal aam aadmi party lost delhi election result to bjp

सड़क, पानी, मुस्लिम... दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की AAP की हार के 5 फैक्टर

  • मुफ्त बिजली, पानी, बस सफर जैसी स्कीमों के बाद उनकी हार ने काफी कुछ साफ कर दिया है। मुस्लिम बहुल इलाके हों, गांधी नगर जैसे कारोबारी क्षेत्र हों या फिर पूर्वी दिल्ली का पटपड़गंज हो, सभी जगहों पर आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है तो साफ है कि अलग-अलग वर्गों में उसने अपने जनाधार को खोया है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 8 Feb 2025 11:40 AM
share Share
Follow Us on
सड़क, पानी, मुस्लिम... दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की AAP की हार के 5 फैक्टर

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 सालों का सूखा खत्म करते हुए सत्ता की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। भाजपा ने .... सीटों पर बढ़त बनाकर रुझानों में बहुमत हासिल कर लिया है। 2013 में अन्ना हजारे के 'क्रांतिपथ' से निकलकर राजनीति की राह में बढ़ने वाले अरविंद केजरीवाल को पहली राजनीतिक हार मिली है। मुफ्त बिजली, पानी, बस सफर जैसी स्कीमों के बाद उनकी हार ने काफी कुछ साफ कर दिया है। मुस्लिम बहुल इलाके हों, गांधी नगर जैसे कारोबारी क्षेत्र हों या फिर पूर्वी दिल्ली का पटपड़गंज हो, सभी जगहों पर आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है तो साफ है कि अलग-अलग वर्गों में उसने अपने जनाधार को खोया है। इसकी पर्याप्त वजहें हैं, जो चुनाव के दौरान ही साफ थीं, लेकिन अरविंद केजरीवाल अपने नाम पर चुनाव में जीत दिलाने की कोशिश में थे। आइए जानते हैं, AAP की हार के 5 फैक्टर...

दिल्ली की सड़कों की बदहाली

अरविंद केजरीवाल एक तरफ रेवड़ियां बांटने के लगातार ऐलान करते रहे तो भाजपा ने सड़क, पानी जैसे मुद्दों को नहीं छोड़ा। बुराड़ी से संगम विहार तक और पटपड़गंज से उत्तम नगर तक अलग-अलग इलाकों में टूटी सड़कों को भाजपा दिखाती रही। भाजपा का कहना था कि कहीं जल बोर्ड ने सड़कें उखाड़ तो दीं, लेकिन उन्हें सही नहीं किया। वहीं तमाम इलाकों में 10 साल में एक बार भी सड़क नहीं बनी। खराब सड़कों की रिपेयरिंग तक नहीं हो सकी। यहां तक कि अरविंद केजरीवाल ने भी सड़कों की बदहाली को स्वीकार किया था और उनका कहना था कि हम इस मोर्चे पर काम नहीं कर सके।

पानी के टैंकर और पलूशन का भी असर

दिल्ली के कई इलाकों में टैंकर माफिया के सक्रिय होने और गर्मी के मौसम में हर साल पानी की किल्लत की खबरें आती रही हैं। एक तरफ फ्री बिजली और पानी देने के वादे तो कहीं पानी की ही किल्लत होने से दिक्कतें आईं। माना जा रहा है कि जनता ने पानी की परेशानी के नाम पर भी वोट दिया। एक तरफ भाजपा ने फ्री वाली स्कीमों को जारी रखने का वादा किया तो वहीं सुधार की भी बात कही। माना जा रहा है कि दिल्ली के लोगों ने पानी और सड़क के नाम पर भाजपा को मौका देने का फैसला लिया है।

मुस्लिम वोटों का बंटवारा, दिल्ली दंगों ने बदला माहौल

ओखला से लेकर मुस्तफाबाद तक में भाजपा ने बढ़त कायम की है। यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने वोट काटे हैं तो वहीं कांग्रेस को भी मुस्लिमों का वोट मिला है। इस बार मुस्लिमों के बीच आम आदमी पार्टी के लिए एकतरफा वोटिंग नहीं हुई। माना जा रहा है कि इसके चलते भाजपा को सीधे बढ़त मिली है। कई मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने इस बात की शिकायत की कि 2020 के दंगों में अरविंद केजरीवाल ने साथ नहीं दिया। इसके अलावा कोरोना काल में मुस्लिमों को बदनाम किया गया। ऐसे में मुस्लिम वोटों का AAP के पक्ष में एकजुट न रहना उसके लिए झटके के तौर पर सामने आया है।

8वां वेतन आयोग, पेंशन और टैक्स राहत के ऐलान से भाजपा के साथ सरकारी कर्मी?

आरके पुरम जैसी सीट पर भाजपा आगे है। यह सीट सरकारी कर्मचारिचों के बहुलता वाली मानी जाती है। ऐसे में कहा जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा को समर्थन किया है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम और फिर 8वां वेतन आयोग घोषित करके भाजपा ने दिल्ली चुनाव में सरकारी कर्मचारियों को लुभा लिया। यही नहीं 1 फरवरी को ही आए बजट में 12 लाख रुपये तक ही कमाने वालों की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इसका फायदा पार्टी को चुनाव में मिला है।

ये भी पढ़ें:मुख्यमंत्री आतिशी और केजरीवाल समते AAP के कई बड़े चेहरे पीछे, BJP को बढ़त
ये भी पढ़ें:अरविंद केजरीवाल के छूटे पसीने, नई दिल्ली में प्रवेश वर्मा ने फिर बना ली बढ़त
ये भी पढ़ें:कांग्रेस के हाल पर हंस रहे INDIA के नेता, बोले- खाता खोल लिया…

आरएसएस ने संभाला मोर्चा, एकजुटता से लड़ा संगठन

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में दिल्ली में सातों सीटें पाई थीं। लेकिन कुछ राज्यों में झटका लगा था तो आरएसएस के साथ तालमेल को लेकर सवाल उठा था। इस बार भाजपा और आरएसएस के बीच बेहतर तालमेल दिखा। यही नहीं संघ के लोगों को बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी दी गई। इस तरह भाजपा और संघ के आनुषांगिक संगठनों में अच्छा समन्वय दिखा। माना जा रहा है कि इसका असर ग्राउंड पर दिखा और अब नतीजा सामने है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें