उन्नाव रेप केस: जेल में आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर की हालत बिगड़ने का दावा, HC ने CBI से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल अधिकारियों से सेंगर की इलाज की स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। याचिका को अगले साल 13 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की याचिका पर मंगलवार को सीबीआई से जवाब मांगा है। इस याचिका में उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को दी गई 10 साल की जेल की सजा को इलाज आधार पर निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। हाई कोर्ट ने जेल अधिकारियों से सेंगर की इलाज की स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। याचिका को अगले साल 13 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि नोटिस केवल चिकित्सा आधार तक ही सीमित है। सीबीआई के वकील ने पीठ को बताया कि हाई कोर्ट ने इस वर्ष जून में सेंगर की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील लंबित रहने तक उनकी सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था। सेंगर के वकील ने कहा कि वह चिकित्सा आधार पर सजा को निलंबित करने का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। यह चिकित्सा के लिहाज से एक गंभीर स्थिति है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के दोषसिद्धि और सजा के आदेश को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पर लंबे समय से सुनवाई नहीं हुई है। वह पिछले आठ साल से जेल में है, जबकि इस मामले में सेंगर को अधिकतम 10 साल की सजा दी गई थी।
सेंगर को पहले ही पीड़ित की नाबालिग बेटी से बलात्कार का दोषी ठहराया जा चुका है। उस मामले में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। बहुचर्चित उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही हाई कोर्ट में पेंडिंग है। उन्होंने 16 दिसंबर, 2019 को निचली अदालत के उस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 को उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है।
सेंगर पर साल 2017 में पीड़ित का अपहरण कर उससे बलात्कार करने का दोष साबित हुआ था। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। 13 मार्च, 2020 को निचली अदालत ने सेंगर को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। निचली अदालत ने कहा था कि परिवार के एकमात्र कमाने वाले की हत्या के लिए कोई नरमी नहीं बरती जा सकती। अदालत ने बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में हत्या में भूमिका के लिए सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य लोगों को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। लड़की के पिता को सेंगर के इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के उत्पीड़न के कारण नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।