दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की जरूरत खत्म, केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री ने क्या बताई वजह
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि उनके मंत्रालय को दिल्ली सरकार से चार पत्र प्राप्त हुए। इनमें सर्दियों में दिल्ली में एक्यूआई में सुधार के तौर पर क्लाउड सीडिंग पर विचार करने को कहा गया था।
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सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि सर्दियों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली वर्षा से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग की जरूरत समाप्त हो जाती है। साथ ही सरकार ने क्लाउड सीडिंग के तहत इस्तेमाल होने वाले कैमिकल के संभावित प्रतिकूल प्रभावों पर विशेषज्ञों की चिंता को भी उजागर किया है।
राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि उनके मंत्रालय को 30 अगस्त से 19 नवंबर के बीच दिल्ली सरकार से चार पत्र प्राप्त हुए हैं। इनमें सर्दियों के दौरान दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपातकालीन उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग पर विचार करने को कहा गया है। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता के संबंध में भारतीय मौसम विभाग, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से विशेषज्ञ राय मांगी गई थी।
एक्सपर्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री सिंह ने कहा कि क्षेत्र में सर्दियों के समय बादल मुख्य तौर से पश्चिमी विक्षोभ के कारण बनते हैं, जो कि अल्पकालिक होते हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर चलते हैं। जब पश्चिमी विक्षोभ के कारण निम्न बादल बनते हैं, तो वे आमतौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में प्राकृतिक वर्षा का कारण बनते हैं। इससे क्लाउड सीडिंग की जरूरत समाप्त हो जाती है।
एक्सपर्ट ने मंत्रालय को बताया कि अधिक ऊंचाई वाले बादल, जो आमतौर पर 5-6 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर होते हैं, विमान की सीमाओं के कारण सीडिंग नहीं की जा सकती। इसके अलावा प्रभावी क्लाउड सीडिंग के लिए विशिष्ट बादल स्थितियों की जरूरत होती है जो आमतौर पर दिल्ली के ठंडे और शुष्क सर्दियों के महीनों के दौरान नहीं मिलते हैं। यहां तक कि अगर उपयुक्त बादल मौजूद भी हों, तो उनके नीचे की शुष्क वायुमंडलीय परत सतह पर पहुंचने से पहले किसी भी विकसित वर्षा को वाष्पित कर सकती है।
मंत्री ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि क्लाउड सीडिंग कराने के अलावा कैमिकल्स की अनिश्चितताओं, उनके प्रभावित करने की क्षमता और संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में भी चिंताएं बनी हुई हैं। पिछले साल भी दिल्ली सरकार ने सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आईआईटी-कानपुर के सहयोग से क्लाउड सीडिंग का उपयोग करने पर विचार किया था। इसका लक्ष्य पलूशन वाले कणों को धोने के लिए बारिश को प्रेरित करना था।
हालांकि क्लाउड सीडिंग कराने में देरी हुई, क्योंकि इसके लिए विमानन और पर्यावरण प्राधिकरणों सहित कई केंद्रीय सरकारी एजेंसियों से अनुमति की आवश्यकता थी। क्लाउड सीडिंग में संघनन को बढ़ावा देने के लिए हवा में पदार्थों को फैलाना शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती है। क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे आम पदार्थों में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ शामिल हैं। ये एजेंट न्यूक्लियस प्रदान करते हैं जिसके चारों ओर जल वाष्प संघनित हो सकता है, जिससे अंततः बारिश या बर्फ बनती है।
इस मौसम परिवर्तन तकनीक का उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में किया गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की कमी या सूखे की स्थिति है। क्लाउड-सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल करने वाले कुछ देशों और राज्यों में अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया और यूएई शामिल हैं। हालांकि, क्लाउड सीडिंग की प्रभावशीलता और पर्यावरणीय प्रभाव अभी भी निरंतर शोध का विषय बने हुए हैं।