ताहिर हुसैन हर दिन 2 लाख देगा, घर नहीं जा सकता; प्रचार पर भी SC की एक शर्त
दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को 5 साल बाद शर्तों के साथ ही सही पर जेल से बाहर आने की इजाजत मिल गई है। एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिनों के लिए कस्टडी पेरोल दी है।
दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को 5 साल बाद शर्तों के साथ ही सही पर जेल से बाहर आने की इजाजत मिल गई है। एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिनों के लिए कस्टडी पेरोल दी है। 29 जनवरी से 3 फरवरी तक ताहिर हुसैन हर दिन 12 घंटे के लिए जेल से बाहर निकलेगा। कोर्ट ने ताहिर की अस्थायी 'आजादी' पर कई तरह की पाबंदियां लगाईं हैं। उसे हर दिन 12 घंटे की पेरोल के लिए 2 लाख रुपए का खर्च वहन करना होगा तो घर जाने की इजाजत भी नहीं दी गई है। सर्वोच्च अदालत ने उसके प्रचार पर भी एक शर्त लगाई है।
ताहिर हुसैन ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दो जजों की बेंच से एक बार खंडित आदेश के बाद मामले को तीन जजों की पीठ के सामने लाया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने यह आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के सामने ताहिर की जो जमानत याचिका लंबित है उस पर अदालत को बिना प्रभावित हुए अपने मैरिट पर फैसला करना है।
ताहिर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने इस बात पर सहमति दी कि उनका मुवक्किल पुलिस सुरक्षा समेत सभी खर्च का वहन करेगा। उसे दो दिन का अडवांस जमा कराना होगा, जोकि प्रति दिन करीब 2 लाख रुपए है। ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद स्थित अपने आवास पर भी नहीं जाएगा। जरूरत पड़ने पर होटल में रहेगा। कस्टडी पैरोल के दौरान सूरज ढलने से पहले उसे जेल में वापस लौटना है।
सुबह से शाम तक वह पुलिस की घेराबंदी में रहते हुए प्रचार कर सकेगा। वह अपने पार्टी दफ्तर में जा सकेगा और बैठकें भी कर सकता है। हालांकि, कोर्ट ने एक शर्त यह भी लगाई है कि प्रचार के दौरान वह अपने खिलाफ लंबित केस के बारे में कोई बात नहीं करेगा।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को दंगे हुए थे, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। हुसैन खुफिया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत से जुड़े मामले में आरोपी है। तब वह आम आदमी पार्टी का पार्षद था। दंगे में आरोपी बनाए जाने के बाद पार्टी ने उसे बर्खास्त कर दिया था। अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने ताहिर को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है।