Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Widow of CISF sacked jawan entitled to get family pension: Delhi High Court

CISF के बर्खास्त जवान की विधवा अनुकंपा भत्ता पाने की हकदार : दिल्ली हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता के पति कृष्णपाल सिंह को 18 बार कदाचार के मामले सामने आने के बाद 1995 में नौकरी से हटा दिया गया था, लेकिन इससे पहले वह सीआईएसएफ में 24 साल की सेवा पूरी कर चुके थे।

Praveen Sharma नई दिल्ली | प्रभात कुमार, Sat, 9 July 2022 08:09 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नौकरी से बर्खास्त जवान की विधवा को अनुकंपा भत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में 24 साल की सेवा के बाद नौकरी से बर्खास्त किए गए जवान की विधवा को ‘अनुकंपा भत्ता’ देने का आदेश दिया है।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और सौरभ बनर्जी की बेंच ने कहा कि तथ्यों से साफ है कि फैमिली पेंशन/अनुकंपा भत्ता की मांग को लेकर याचिकाकर्ता की दया याचिका को खारिज करते समय केंद्र सरकार और सीआईएसएफ ने सीसीएस (पेंशन) रूल्स 1972 के नियम 41 के प्रावधानों की अनदेखी की है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि याचिकाकर्ता के पति कृष्णपाल सिंह को 18 बार कदाचार के मामले सामने आने के बाद 1995 में नौकरी से हटा दिया गया था, लेकिन इससे पहले वह सीआईएसएफ में 24 साल की सेवा पूरी कर चुके थे। नौकरी से हटाए जाने और लगाए गए आरोपों को याचिकाकर्ता के पति ने अदालत में चुनौती थी, लेकिन इस बीच 2000 में उनकी मौत हो गई।

बेंच ने कहा कि मौत के बाद 2011 में कोर्ट में लंबित याचिका स्वत: खारिज हो गई, लेकिन इस बीच याचिकाकर्ता ने 2008 में फैमिली पेंशन पाने की मांग को लेकर सक्षम प्राधिकार के समक्ष प्रतिवेदन दिया, जिसे खारिज कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने 2018 में सरकार के समक्ष दया याचिका दाखिल कर अनुकंपा भत्ता की मांग की, लेकिन सीआईएसएफ ने इसे खारिज कर दिया। बेंच ने केंद्र सरकार और सीआईएसएफ को चार सप्ताह में याचिकाकर्ता को अनुकंपा भत्ता देने का आदेश दिया है।

यह मामला है

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता शिक्षा ने वकील अजीत कक्कड़ के माध्यम से याचिका दाखिल कर अनुकंपा भत्ता/फैमिली पेंशन की मांग को लेकर सरकार के सक्षम प्राधिकार द्वारा 2018 में दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। वकील ने बेंच को बताया कि उनके मुवक्किल के पति कृष्णपाल सिंह जो सीआईएसएफ में नायक के पद पर तैनात थे, उन्हें 1995 में कदाचार के आरोप में दोषी पाते हुए नौकरी से हटा दिया गया था। 

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