दिल्ली में झारखंड के 13 नाबालिग बच्चों को तस्करी के जाल से छुड़ाया गया, 14 साल की लड़की गर्भवती
मिली जानकारी के अनुसार इन बच्चों को झारखंड से दलाल लेकर आते थे। दलाल बच्चों को लालच देते थे कि दिल्ली में उन्हें खूब पैसे दिए जाएंगे। दलाल उन बच्चों को दिल्ली में बेच दिया करते थे।
राजधानी दिल्ली में झारखंड से तस्करी कर लाए गए कुल 13 नाबालिगों को बचाया गया है। इन 13 नाबालिगों में से 12 नाबालिग लड़कियां हैं। इनमें से एक 14 साल की लड़की गर्भवती है। ये सब नाबालिग झारखंड की राजधानी रांची से 40 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के रहने वाले हैं। झारखंड सरकार से मिली जानकारी के अनुसार सभी नाबालिगों को बचा लिया गया है।
15 दिन के छापेमारी के बाद छुड़ाया गया
पुनर्वास संसाधन केंद्र (IRRC) नई दिल्ली के नोडल अधिकारी नचिकेता ने बताया कि समाज कल्याण विभाग, बाल संरक्षण विभाग और मानव तस्करी विरोधी इकाई की संयुक्त टीमों ने इन नाबालिग बच्चों को बचाया है। उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों से दिल्ली के कई इलाकों में छापेमारी के दौरान इन बच्चों को छुड़ाया गया है। IRRC के नोडल अधिकारी ने बताया कि इन बच्चों में एक 14 साल की बच्ची गर्भवती है, उसे तीन महीने का गर्भ है।
क्या है पूरा मामला
यह कार्रवाई मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर खूंटी के उपायुक्त शशि रंजन और पुलिस अधीक्षक अमन कुमार के कहने पर शुरू की गई थी। झारखंड सरकार की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, "छापे के दौरान कई प्लेसमेंट एजेंसियों का पता चला जो अवैध रूप से काम कर रही थीं। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।" मुक्त कराए गए नाबालिगों को झारखंड लाया जा रहा है। झारखंड सरकार ने कहा है कि सभी बच्चों का पुनर्वास किया जाएगा।
बच्चों से दिल्ली में क्या करवाया जाता था
मिली जानकारी के अनुसार इन बच्चों को झारखंड से दलाल लेकर आते थे। दलाल बच्चों को लालच देते थे कि दिल्ली में उन्हें खूब पैसे दिए जाएंगे। दलाल उन बच्चों को दिल्ली में बेच दिया करते थे। दिल्ली के दलाल इन बच्चों को कई घरों में बेचते थे। घरों में इन बच्चों से काम कराया जाता था। लड़कियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। झारखंड सरकार ने अपने बयान में कहा कि इन बच्चों के साथ अत्याचार किया जाता था।
बच्चों को झारखंड भेजे जाने के बाद ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC) के माध्यम से उनकी लगातार निगरानी की जाएगी। झारखंड सरकार ने कहा कि इन बच्चों को कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों से जोड़ा जाएगा। वहां इन बच्चों के रहने, खाने और पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी।