हमारी अनुमति के बिना अरावली रेंज में खनन पट्टों का रिनूअल नहीं; दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसकी बिना पूर्व अनुमति के अरावली रेंज वाले राज्य खनन पट्टों के नवीनीकरण की मंजूरी नहीं देंगे। इन राज्यों में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अरावली रेंज वाले राज्यों के लिए एक सख्त फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी बिना पूर्व अनुमति के अरावली रेंज वाले राज्य खनन पट्टों के नवीनीकरण की मंजूरी नहीं देंगे। शीर्ष अदालत के फैसले से जाहिर है कि अरावली रेंज में खनन पट्टों के नवीनीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी। बिना इसके बिना अरावली रेंज वाले राज्यों की ओर से खनन पट्टों की अंतिम मंजूरी नहीं दी जाएगी। इन राज्यों में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं।
अरावली पर्वत श्रृंखला दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैली हुई है। खनन लाइसेंसों के नवीनीकरण के लिए दो नए आवेदनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्य सरकारों को विभिन्न प्राधिकरणों से वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने के बाद पट्टों के नवीनीकरण के प्रस्तावों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा- हम आगे निर्देश देते हैं कि इस अदालत की बिना पूर्व मंजूरी के खनन पट्टों के नवीनीकरण के लिए कोई अंतिम अनुमति राज्यों की ओर से नहीं दी जाएगी।
असल में शीर्ष अदालत ने 9 मई के अपने आदेश को दोहराया। इसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि अरावली पर्वतमाला के राज्यों को खनन पट्टों के अनुदान और नवीनीकरण के लिए आवेदनों पर विचार करने की स्वतंत्रता होगी, लेकिन 25 अगस्त, 2010 की भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) रिपोर्ट में परिभाषित पहाड़ी श्रृंखला में खनन के लिए सर्वोच्च अदालत की अनुमति के बिना कोई अंतिम अनुमति नहीं प्रदान की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस आदेश को किसी भी तरह से वैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के रूप में नहीं समझा जाएगा। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सहित अधिकारियों की एक समिति गठित की जाए, जो अरावली पहाड़ियों और श्रृंखला की एक समान परिभाषा रखे।