फेरीवाले रात को बाजार में अपना सामान नहीं छोड़ सकते, केवल नीति के अनुसार ही काम करने की अनुमति : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कहा था कि फेरीवाले की अपील फेरी लगाने की अवधारणा के खिलाफ है, जो फेरीवाले को किसी भी क्षेत्र पर स्थायी कब्जे की अनुमति नहीं देती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी फेरीवाले (Hawkers) को इस पर जोर देने का कोई अधिकार नहीं है कि उसे रात में उसी जगह पर अपना सामान रखने की अनुमति दी जाए, जहां वह फेरी लगाता है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने स्पष्ट किया कि फेरीवालों को सिर्फ फेरी नीति के अनुसार ही बाजारों में सामान बेचने की इजाजत दी जा सकती है। बेंच ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अर्जी दाखिल की गई थी कि सरोजिनी नगर मार्केट में फेरी लगाने वाले याचिकाकर्ता को फेरी वाले स्थान पर रात में सामान छोड़ने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने संबंधित अर्जी को उचित रूप से खारिज किया है।
सुप्रीम कोर्ट सरोजिनी नगर मार्केट में फेरी लगाने वाले एक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। फेरीवाले ने हाईकोर्ट से एनडीएमसी को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उसे उसी स्थान पर रात में सामान छोड़ने की अनुमति दे, जहां वह दिन में फेरी लगाता है। हाईकोर्ट ने कहा था कि फेरीवाले की अपील फेरी लगाने की अवधारणा के खिलाफ है, जो फेरीवाले को किसी भी क्षेत्र पर स्थायी कब्जे की अनुमति नहीं देती।
ये हैं फेरीवालों के लिए तय नियम
हाईकोर्ट ने कहा था कि फेरी की पूरी अवधारणा यह है कि फेरीवाला अपने माल व सामान के साथ फेरी के घंटों के दौरान आवंटित क्षेत्र में आता है, फेरी लगाता है और अंत में अपने माल-सामान के साथ ही वहां से चला जाता है। वहीं, मोबाइल फेरीवालों (जो घूम-घूमकर सामान बेचते हैं) के संबंध में तो इतनी सुविधा भी नहीं है।