कैसे दे दें परमिशन, यमुना के बाढ़ इलाके में कंस्ट्रक्शन पर दिल्ली पुलिस को SC से झटका; याचिका खारिज
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामला की सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस की मांग पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा,''बाढ़ एरिया में कंस्ट्रक्शन की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
यमुना बाढ़ इलाके में बैरक कंस्ट्रक्शन पर दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में उसने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में अपने प्रशिक्षुओं के रहने के लिए बैरक बनाने की अनुमति मांगी थी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामला की सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस की मांग पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा,''बाढ़ के मैदानों पर निर्माण की अनुमति कैसे दी जा सकती है ?" आगे सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "आप यमुना के फ्लड एरिया (बाढ़ वाले इलाके) में निर्माण क्यों करना चाहते हैं? पर्यावरण के लिए कदम उठाने की जरूरत है। पिछले साल बाढ़ का पानी सुप्रीम कोर्ट में घुस गया था। हम यमुना पर बैरक की अनुमति कैसे दे सकते हैं?" जिसके बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
दिल्ली पुलिस ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। NGT ने साल 2020 में याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रोजेक्ट यमुना के फ्लड एरिया में है और इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
एनजीटी ने दिल्ली पुलिस की इस दलील से सहमत होने से इनकार कर दिया था कि यमुना पुनर्जीवन की निगरानी के लिए गठित कोर समिति ने दिल्ली पुलिस के पक्ष में सिफारिशें की थीं।
गौरतलब हो, एनजीटी ने अपने 2015 के आदेश में यमुना सीमांकित बाढ़ क्षेत्र में किसी भी निर्माण गतिविधि पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद कोर कमेटी को आज की सभी मौजूदा संरचनाओं की पहचान करने का निर्देश दिया था जो सीमांकित बाढ़ क्षेत्र में आती हैं। NGT ने कहा था कि पहचान के बाद समिति अपनी सिफारिशें देगी कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए कौन से कंस्ट्रक्शन को ध्वस्त किया जाना चाहिए या नहीं, खासकर, अवैध निर्माण पर सख्त ऐक्शन लिया जाना था।" जिसके बाद कोर कमेटी ने दिल्ली पुलिस को प्रशिक्षुओं के बैरक बनाने के लिए NGT से सिफारिश की थी लेकिन NGT ने इससे इनकार कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
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