पीएफआई दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद की जमानत याचिका खारिज, ताहिर हुसैन को भी झटका
विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार पीएफआई दिल्ली चीफ परवेज अहमद की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दी है। वहीं दिल्ली दंगा मामले में ताहिर हुसैन की जमानत याचिका भी खारिज हो गई है।
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह की अदालत ने एक आदेश में कहा कि अभियुक्त पीएमएलए की धारा 45 में निर्धारित थ्रेस्ट होल्ड शर्त पर खरा नहीं उतर सका, इसलिए नियमित जमानत याचिका खारिज की जाती है। वहीं 2020 दिल्ली दंगा मामले में पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन की नियमित जमानत याचिका भी खारिज हो गई है।
इस बीच, अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ही मोहम्मद इलियास (महासचिव पीएफआई दिल्ली) और अब्दुल मुकीत (कार्यालय सचिव, पीसीआई, दिल्ली) की ओर से दायर जमानत याचिकाओं पर भी आदेश सुरक्षित रख लिया। मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से वकील एनके मट्टा, मनीष जैन, साइमन बेंजामिन और मोहम्मद फैजान पेश हुए। ईडी के अनुसार, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की दिल्ली इकाई के 2018 से अध्यक्ष परवेज अहमद आपराधिक साजिश का हिस्सा थे। ईडी का कहना है कि उन्होंने पूछताछ में माना कि वह दिल्ली में धन संग्रह का काम देखते थे।
ईडी ने अदालत में कहा कि यह बिल्कल साफ है कि परवेज अहमद ने जानबूझकर झूठ बोला और पीएमएलए 2002 की धारा 50 के तहत अपने बयानों की रिकॉर्डिंग के दौरान जांच अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की। परवेज अहमद ने जानबूझकर सच्चाई का खुलासा नहीं किया। ईडी ने पहले कहा था कि 2018 में दर्ज एक मामले में पीएफआई के खिलाफ पीएमएलए जांच से पता चला है कि पिछले कुछ वर्षों में पीएफआई और संबंधित संस्थाओं के खातों में 120 करोड़ रुपये जमा किए गए। इस रकम का एक बहुत बड़ा हिस्सा कैश में जमा किया गया।
वहीं पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली दंगा मामले में पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन की नियमित जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी। न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने कहा कि सबूतों को देखने के बाद, अदालत का मानना है कि आरोपी के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं। यूएपीए के प्रावधानों के मुताबिक, आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है। ऐसे में जमानत याचिका खारिज की जाती है।