Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Same-sex couple urges Delhi HC to allow Special Marriage Act to apply to all couples

समलैंगिक दंपति की दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार, स्पेशल मैरिज एक्ट को सभी जोड़ों पर लागू करने की दी जाए अनुमति

एक समलैंगिक जोड़े (Same-sex couple) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act ) को सभी जोड़ों के लिए उनके लिंग पहचान की परवाह किए बिना लागू करने...

Praveen Sharma नई दिल्ली। एएनआई, Thu, 8 Oct 2020 08:34 PM
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एक समलैंगिक जोड़े (Same-sex couple) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act ) को सभी जोड़ों के लिए उनके लिंग पहचान की परवाह किए बिना लागू करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।

जस्टिस नवीन चावला की सिंगल जज बेंच ने इस मामले को एक डिविजन बेंच के पास भेज दिया, जो इस तरह के मामले को सुन रही है और इसे अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

दंपति ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 को असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इसमें समलैंगिक जोड़े के बीच विवाह के संबंध में प्रावधान नहीं है और कोर्ट को इस बारे में निर्देश जारी करना चाहिए कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 सभी जोड़ों के लिए उनकी लिंग पहचान और सेक्सुअल ओरियंटेशन की परवाह किए बिना लागू होता है।

समलैंगिक दंपति द्वारा दायर याचिका में संबंधित अधिकारियों से स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत अपनी शादी को रजिस्टर्ड कराने के लिए दिशानिर्देश भी मांगे गए हैं।

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वे पिछले आठ वर्षों से रिश्ते में हैं और एक साथ रहते हैं, धन भी साझा करते हैं और उनमें से एक के पिता की देखभाल करते हैं, जो 88 वर्ष से अधिक हैं।

याचिकाकर्ताओं में से एक मनोचिकित्सक है, जबकि दूसरा डॉक्टर है। यह दोनों दंपति एक टीम का हिस्सा हैं जिसने उत्तर भारत के अग्रणी क्लीनिक का निर्माण किया जो मानसिक स्वास्थ्य और बच्चों और युवाओं के लिए सीखने की अक्षमता में विशेषज्ञता रखते हैं।

याचिका में कहा गया है कि वे एक दूसरे के बेहद प्यार करते हैं और जीवन के उतार-चढ़ावों, गम और खुशियों का एक साथ मिलकर सामना करते हैं। वे साथ रहने के दौरान कपड़ों से लेकर दर्द तक सबकुछ साझ करते हैं। उन दोनों के बीच गहरा और अटूट बंधन हैं। 

याचिकाकर्ता के वकीलों, अरुंधति काटजू, गोविंद मनोहरन, सुरभि धर और वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने अपनी दलीलों में कहा कि विवाह केवल दो व्यक्तियों के बीच का रिश्ता नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों को एक साथ लाता है, इसके साथ ही यह अधिकारों की एक गठरी भी है। शादी के बिना याचिकाकर्ता कानून में अजनबी हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 में किसी व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार दिया गया है। यह अधिकार पूरी तरह से समलैंगिक जोड़ों पर भी लागू होता है, जैसा कि यह विपरीत-लिंग वाले जोड़ों के लिए है। 

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