Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Period of dismissal on reinstatement should be considered as duty Delhi High Court order to CRPF

दोबारा बहाली पर बर्खास्तगी की अवधि को ड्यूटी माना जाए : दिल्ली हाईकोर्ट का CRPF को आदेश

हाईकोर्ट की बेंच ने CRPF के एक सिपाही के हक में फैसला देते हुए यह टिप्पणी की है। बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता सिपाही को एक आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने पर नौकरी से हटाया गया था।

Praveen Sharma नई दिल्ली। हिन्दुस्तान, Mon, 3 April 2023 06:33 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि आपराधिक मामले में बरी होने के बाद दोबारा बहाल होने पर बर्खास्तगी की अवधि को ड्यूटी माना जाएगा। दोबारा बहाल होने वाला व्यक्ति इस अवधि का वेतन निर्धारण, पदोन्नति, वरिष्ठताक्रम सहित सभी वित्तीय लाभ पाने का हकदार होगा।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक सिपाही के हक में फैसला देते हुए यह टिप्पणी की है।

बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता जगन्नाथ नायक को एक आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने पर नौकरी से हटाया गया। उसी मामले में बरी होने के बाद उसे कोर्ट के आदेश पर दोबारा से बहाल किया गया।

बेंच ने कहा, ‘तथ्यों से जाहिर है कि याचिकाकर्ता नायक जानबूझकर 31 जनवरी, 2006 से 17 फरवरी, 2017 तक अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि नौकरी से हटाए जाने के कारण ड्यूटी से अनुपस्थित रहा।’ हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में इस अवधि को ड्यूटी माना जाएगा। याचिकाकर्ता उक्त अवधि के लिए वेतन निर्धारण, पदोन्नति, वरिष्ठताक्रम सहित सभी वित्तीय लाभ पाने का हकदार होगा।

सीआरपीएफ ने आपराधिक मामले में 2009 में बरी किए जाने के बाद सहानुभूति दृष्टिकोण अपनाते हुए याचिकाकर्ता नायक को दोबारा बहाल कर दिया था। हालांकि, सीआरपीएफ ने बर्खास्तगी की अवधि (31 जनवरी, 2006 यानी नौकरी से हटाने के दिन 17 फरवरी, 2017 दोबारा नौकरी ज्वाइन करने दिन) ड्यूटी नहीं माना।

सीआरपीएफ ने कहा कि इसे न तो सेवा के रूप में गिना जाएगा और न ही सेवा में ब्रेक के रूप में माना जाएगा। साथ ही, सीआरफीएफ ने ‘नो वर्क नो पे’ के सिद्धांत पर याचिकाकर्ता को किसी तरह का वित्तीय लाभ देने से भी इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता ने वकील रानी छाबड़ा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीआरपीएफ के इस आदेश को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता 2009 में हो गया था बरी

सीआरपीएफ ने 1991 में सिपाही भर्ती होने वाले जगन्नाथ नायक को 19 फरवरी, 2005 को भाई ने फोन पर मां के बीमार होने की सूचना दी। वह अपने वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना देकर मां को देखने के लिए चला गया, लेकिन उसी दिन मां को रांची में देखकर वापस ड्यूटी आते समय जमशेदपुर में पुलिस ने उसे कुछ मादक पदार्थ रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद सीआरपीएफ ने 31 जनवरी, 2006 को नौकरी से हटा दिया था। इस मामले में 2009 में याचिकाकर्ता को कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया था। 

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