कपड़ा बेचने वाला मामूली सटोरिया, कैसे बना अरबपति; महादेव ऐप वाले सौरभ चंद्राकर की क्राइम कुंडली
गैरकानूनी सट्टेबाजी के 5000 करोड़ रुपये के महादेव बेटिंग ऐप घोटाले को अंजाम देने वाले सौरभ चंद्राकर की कहानी बेहद दिलचस्प है। इस रिपोर्ट में पढ़ें कैसे कपड़े बेचने वाला मामूली सटोरिया अरबपति बन गया।
महादेव ऐप घोटाले में ईडी की छानबीन के बीच बुधवार दोपहर को टीवी चैनलों पर एक ब्रेकिंग चली कि केंद्रीय जांच एजेंसी एक शीर्ष बॉलीवुड अभिनेता से पूछताछ करने वाली है। यह जांच महादेव ऐप घोटाले से संबंधित है। महादेव ऐप घोटाला कथित तौर पर 5,000 करोड़ रुपये का अवैध सट्टेबाजी गिरोह से जुड़ा घोटाला है। यह पहली बार नहीं है जब इस घोटाले ने ध्यान खींचा है। इससे पहले अगस्त में, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार और उनके दो विशेष कर्तव्य अधिकारियों (ओएसडी) से इस मामले को लेकर पूछताछ की गई थी। इस पर सियासत भी खूब होती रही है।
जांच में सामने आया है कि महादेव ऐप के पीछे का मास्टरमाइंड छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर का 26 वर्षीय शख्स सौरभ चंद्राकर है। सौरभ कंपनी के दो प्रमोटरों में से एक है। सौरभ के बारे में पता चला है कि उसका बचपन बेहद अभाव में गुजरा। उसको गुजर बसर करने के लिए एक स्थानीय कपड़ा दुकान में काम करना पड़ा। एक दिलचस्प बात यह भी पता चली है कि सौरभ काफी पहले से सट्टेबाजी का शौकीन था। हालांकि वह सुर्खियों में तब आया जब उसने छत्तीसगढ़ के एक गांव की अपनी बचपन की प्रेमिका से दुबई में 200 करोड़ रुपये की शादी की। उसके शादी समारोह में दिग्गज बॉलीवुड हस्तियां शरीक हुईं।
चंद्राकर के पिता भिलाई नगर निगम में ग्रेड 4 कर्मचारी थे। उस समय सौरभ चंद्राकर का परिवार टूटे मकान में रहता था। सौरभ ने 12वीं तक की पढ़ाई एक स्थानीय स्कूल में की। महज 17 साल की उम्र में उसने काम करना शुरू कर दिया। उसने 2014-2015 तक आकाश गंगा नाम की इमारत में कपड़े की दुकानों में काम किया। आकाश गंगा कपड़ा दुकानों के लिए मशहूर जगह है। वह हर महीने 12,000 से 14,000 के बीच कमाता था। इस दौरान भी सौरभ फोन पर सट्टेबाजी और जुआ खेलता था। हालांकि तब तक उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया गया था।
दुर्ग जिले के साइबर सेल के एक पुलिस अधिकारी समित मिश्रा ने बताया- अब चंद्राकर पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आकाश गंगा में ही चंद्राकर अवैध सट्टेबाजी में शामिल हुआ। उसकी हमेशा से क्रिकेट में रुचि थी। वह खेलों पर दांव लगाता था। माना जाता है कि आकाश गंगा में कई कर्मचारी सट्टेबाजी करते थे। संभावना है कि यहीं पर चंद्राकर की मुलाकात महादेव ऐप के दूसरे प्रमोटर रवि उप्पल (50) से हुई। आखिर साल 2017 तक चंद्राकर को पुलिस जानने लगी थी।
इस बारे में एक राजनेता का कहना है कि उनको उसके पिता से एक फोन कॉल आई थी। पिता ने बताया कि उनका बेटा अपने लैपटॉप पर सट्टेबाजी में पागल हो गया है। कुछ पुलिसकर्मियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। चूंकि मैं उसके पिता को जानता था, इसलिए उन्होंने मुझसे कुछ करने की गुजारिश की। इसके बाद मैंने प्रयास किए तो कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। यह एक मामूली घटना थी लेकिन तब मुझे भी नहीं पता था कि क्या होने वाला है।
रवि उप्पल के बारे में कहा जाता है कि वह चंद्राकर से 24 साल बड़ा है। जब 2017 में रवि की मुलाकात चंद्राकर से हुई, तब तक वह भिलाई, पुणे और बैंगलोर में कई छोटे पैमाने के सट्टेबाजरी का धंधा चला चुका था। बाद में वह एक सट्टेबाजी नेटवर्क में आया और ऐप विकसित किया। 2018 में खेल के प्रति चंद्राकर की रुचि से प्रभावित होकर, रवि ने उसे अपने साथ जोड़ लिया। फिर दोनों ने एक नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया। कुछ ही महीनों में चंद्राकर ने भिलाई के नेहरू नगर में जूस फैक्ट्री नाम से एक रेस्तरां खोला।
2021 में पुलिस जब तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी से संबंधित एक शिकायत की जांच कर रही थी तब पहली बार उन्हें संगठित अवैध गतिविधि के संकेत मिले। महादेव ऐप मामले की छानबीन से अवगत एक अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला कि वे दुबई से रैकेट चला रहे थे। चुनौती यह थी कि जैसे ही 10 मिनट की निष्क्रियता होती, सिस्टम दुबई से लॉग आउट हो जाता था। कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। हालांकि हमें संदेह जरूर हो गया था, लेकिन हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं था कि यह सट्टेबाजी थी।
आखिरकार, दुर्ग पुलिस ने 30 मार्च 2022 को मोहन नगर में दूसरी छापेमारी की। मौके पर चंद्राकर और उप्पल मौजूद नहीं थे। यह भी स्पष्ट हो गया कि ऑपरेशन वास्तव में एक सट्टेबाजी रैकेट था। अक्टूबर 2022 में प्रवर्तन निदेशालय हरकत में आया और मामला दर्ज किया। ईडी की जांच में पाया गया कि महादेव ऐप ने तीन पत्ती और पोकर जैसे विभिन्न लाइव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी, लाइव क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस और अन्य खेलों पर दांव लगाने और यहां तक कि चुनाव परिणामों पर दांव लगाने के लिए एक ऑनलाइन मंच प्रदान किया गया।
ईडी ने चंद्राकर और उप्पल की पहचान प्रवर्तकों के रूप में की। ईडी ने बताया कि दोनों दुबई में रहते थे और काम करते थे। ईडी ने जांच में पाया कि आरोपी विभिन्न वेबसाइटों पर संपर्क नंबरों का विज्ञापन करते थे और लोगों को मुनाफे का लालच देते थे। इसी साल 24 अगस्त को ईडी ने छत्तीसगढ़ से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया। इन आरोपियों के नाम सुनील और अनिल दम्मानी, सतीश चंद्राकर थे। चौथा एक पुलिस उप-निरीक्षक चंद्र भूषण वर्मा भी था। ईडी ने मुख्यमंत्री बघेल के राजनीतिक सलाहकार वर्मा और ओएसडी मनीष बंछोर और आशीष वर्मा शामिल से भी पूछताछ की।
हालांकि तीनों ने कहा है कि उनका ऐप से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं भाजपा हमलावर है। भाजपा का कहना है कि महादेव एप्लिकेशन कांग्रेस सरकार का ही स्टार्ट-अप है। कांग्रेस सरकार ने घोटाले से जुड़े लोगों को संरक्षण दिया। दूसरी ओर कांग्रेस का दावा है कि यह छत्तीसगढ़ पुलिस ही थी जिसने इस घोटाले का भंडाफोड़ किया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने घोटाले का पर्दाफाश किया और देशभर से 500 लोगों को गिरफ्तार किया। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा- हमारे पास सबूत हैं कि बीजेपी ने चंद्राकर को संरक्षण दिया था। मेरे पास सौरभ चंद्राकर के साथ एक वरिष्ठ बीजेपी नेता की तस्वीरें हैं।
भिलाई में भी लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि चंद्राकर ने सट्टेबाजी से पैसा बनाया। लोगों का कहना है कि बीते चार वर्षों के दौरान चंद्राकर ने कई युवाओं को दुबई में काम दिया है। एक व्यक्ति जो चंद्राकर के इलाके में रहता था, उसने बताया कि चंद्राकर ने अपने लिए काम करने के लिए करीब एक हजार लोगों को काम पर रखा था। दुर्ग और भिलाई के कम से कम एक हजार युवा अब विदेश में हैं। इन सभी को चंद्राकर ने शामिल किया था। एक पड़ोसी ने बताया कि ज्यादातर सट्टेबाजी के शुरुआती दिनों से ही उसके संपर्क में थे।