भूकंप सहने के लिए कितने मजबूत हैं स्कूल-अस्पताल? दिल्ली HC ने दिया ऑडिट का आदेश; मांगी स्टेटस रिपोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने भूकंप के मद्देनजर अस्पतालों और स्कूलों जैसी सार्वजनिक इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और अन्य स्थानीय एजेंसियों से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भूकंप के मद्देनजर अस्पतालों और स्कूलों जैसी सार्वजनिक इमारतों का संरचनात्मक ऑडिट करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अधिकारियों से कहा कि इमारतों की स्थिरता का परीक्षण किया जाए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा, यह सच है कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को कोई नियंत्रित नहीं कर सकता है, लेकिन राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारी अपनी इमारतों की समीक्षा सकते हैं। पीठ ने दिल्ली सरकार और अन्य स्थानीय एजेंसियों को सभी अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों का संरचनात्मक ऑडिट करने और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
केवल 10 प्रतिशत इमारतें भूकंपरोधी
पीठ वकील अर्पित भार्गव की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता खराब है। भार्गव ने कहा कि भूकंप की स्थिति में दिल्ली में जान-माल की बड़ी क्षति हो सकती है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत इमारतें भूकंप के अनुरूप हैं।
अनधिकृत निर्माण की समस्या
दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि राज्य की सभी इमारतों को भूकंपरोधी बनाने का काम चरणबद्ध तरीके से ही किया जा रहा है। शहर में कई पुरानी इमारतें होने के अलावा अनधिकृत निर्माण की भी समस्या है, जिनमें से कुछ को ध्वस्त कर दिया गया है। त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला कोई प्रतिकूल मुकदमा नहीं है और याचिकाकर्ता उन अधिकारियों को अपने सुझाव देने के लिए स्वतंत्र है, जिन्होंने पहले ही उचित निर्देश जारी कर दिए हैं।
गैरकानूनी निर्माण रोकें
पीठ ने कहा कि कृपया इन लोगों को चेतावनी दें, जो इस तरह के गैरकानूनी निर्माण कर रहे हैं या यहां रह रहे हैं। वहां नोटिस लगाएं कि संरचना खतरनाक है। यह असुरक्षित है।
रेट्रोफिटिंग के विकल्प पर विचार
निगम के वकील ने कहा कि निगम अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और इमारतों को सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए उनमें रेट्रोफिटिंग के विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
144 असुरक्षित इमारतों को ध्वस्त करने का दावा
दिल्ली सरकार ने पहले पीठ को बताया था कि संरचनात्मक सुरक्षा का आकलन करने के लिए पहचानी गई 10 हजार इमारतों में से 6 हजार से अधिक को संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र दिखाने के लिए कहा गया है। 144 असुरक्षित इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया है। बताया गया था कि इनमें से 4655 इमारतों का संरचनात्मक ऑडिट किया जा चुका है, जबकि 89 के संबंध में रेट्रोफिटिंग प्रगति पर थी। याचिका वर्ष 2015 में दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने समय-समय पर दिल्ली सरकार और नागरिक अधिकारियों को एक योजना बनाने का निर्देश दिया है। वर्ष 2020 में भार्गव ने एक अवमानना याचिका दायर की थी।