हरियाणा में नगर निगमों के मेयर बने और 'पावरफुल', खट्टर सरकार ने दिए 2 नए अधिकार
सीएम खट्टर ने कहा कि मेयर एक बड़े क्षेत्र का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है। हमारी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में पंचायतीराज संस्थानों के लिए भी सत्ता का विकेंद्रीयकरण कर कईं प्रकार के अधिकार दिए हैं।
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्रदेश के नगर निगमों के महापौरों के अधिकारों में वृद्धि की है। इसके तहत अब महापौर विकास कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति 10 करोड़ रुपये तक कर सकेंगे। इसके अलावा महापौर नगर निगम में कार्यरत जूनियर इंजीनियर सहित ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुवार को हरियाणा निवास में राज्य के नगर निगमों के महापौर व वरिष्ठ उपमहापौर के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि शहरों की छोटी सरकार के लिए सत्ता का विकेंद्रीकरण करने की कड़ी में एक और पहल करते हुए नगर निगमों के महापौर को अपने जेई. सहित ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों को निलंबित करने के लिए अधिकृत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेयर एक बड़े क्षेत्र का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है। हमारी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में पंचायतीराज संस्थानों के लिए भी सत्ता का विकेंद्रीयकरण कर कईं प्रकार के अधिकार दिए हैं। पहले की सरकारों में सत्ता का केन्द्रीकरण होता था, जबकि हमने सत्ता का विकेंद्रीयकरण किया है।
उन्होंने कहा कि कल की कैबिनेट बैठक में शहरों के लिए कईं महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उनके क्रियान्वयन में मेयरों और पार्षदों की बड़ी भूमिका होगी। केंद्रीय वित्त आयोग तथा राज्य वित्त आयोग की तरफ से नगर निगमों को तिसरी तिमाही का लगभग 600-700 करोड़ रुपया आवंटित किया जाना है। मेयर अपने क्षेत्र के विकास कार्यों का अनुमान तैयार करें और शीघ्र ही इसे सरकार को भिजवाएं।