सिर्फ पीड़िता से समझौते के आधार पर रद्द नहीं होगी FIR, आरोपी को करना होगा पाप का प्रायश्चित
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि महिला के साथ छेड़छाड़, उसे परेशान और प्रताड़ित करने के आरोपी को सिर्फ पीड़िता से हुए समझौते के आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को अपने उस पाप का...
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि महिला के साथ छेड़छाड़, उसे परेशान और प्रताड़ित करने के आरोपी को सिर्फ पीड़िता से हुए समझौते के आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को अपने उस पाप का प्रायश्चित करना होगा, जो उसने महिला के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाकर किया है। हाई कोर्ट ने महिला को परेशान और प्रताड़ित करने के आरोपी को अपने किए कृत्य के प्रायश्चित के लिए एक माह तक अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है।
जस्टिस एस. प्रसाद ने आरोपी के खिलाफ छेड़छाड़, महिला के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज मुकदमा को रद्द करते हुए यह आदेश दिया है। उन्होंने आरोपी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक माह तक सामुदायिक सेवा करने के अलावा 50 हजार रुपये आर्मी वेलफेयर फंड में भी दान देने को कहा है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता आरोपी को एक महिला को परेशान करने के अपने पाप का प्रायश्चित करना होगा।
हाई कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को यह महसूस होना चाहिए कि वह अदालत को हल्के में नहीं ले सकता है और उसके द्वारा एक महिला का शीलभंग करने जैसे गंभीर अपराध में समझौता किया जा सकता है और उसे आसानी से छोड़ दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि इसलिए आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है ताकि वह दोबारा इस तरह के अपराधों को न दोहराए। कोर्ट ने कहा है कि जो भी कारण हो आरोपी को सिर्फ पीड़िता के साथ समझौते के आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता है।
यह टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने आरोपी चंदन सिंह को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है। साथ ही एक माह पूरा होने पर अस्पताल के अधीक्षक का प्रमाण पत्र पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो आरोपी के खिलाफ मुकदमा प्रभावी हो जाएगा। यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने आरोपी चंदन सिंह के खिलाफ पांडव नगर थाना में दर्ज छेड़छाड़, महिला की मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ने न्यायालय को भरोसा दिया कि वे सभी शर्तों का पालन करेगा।
हाई कोर्ट ने आरोपी की ओर से पीड़िता के साथ हुए समझौते के आधार पर उसके खिलाफ दर्ज मुकदमा को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया। आरोपी के खिलाफ 2015 में यह मुकदमा दर्ज किया गया था।