237 किसानों को चुनाव बाद मिलेगी गुडन्यूज, रिपोर्ट तैयार; क्या है लीजबैक जिसमें मिल सकती है राहत
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से चुनाव के चलते लगी आचार संहिता खत्म होने के बाद 237 किसानों को गुडन्यूज मिल सकती है। एसआईटी द्वारा दोबारा की गई जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर अंतिम रूप दे दिया है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लीजबैक के खारिज 237 प्रकरणों की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दोबारा की गई जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर अंतिम रूप दे दिया है। सुनवाई में किसानों ने साक्ष्य प्रस्तुत किए। उम्मीद है कि इस हफ्ते एसआईटी अध्यक्ष को अंतिम रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। शासन की मुहर लगने के बाद लीजबैक की कार्रवाई शुरू होगी। इस बार किसानों के प्रति सकारात्मक रुख दिख रहा है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद अच्छी खबर मिल सकती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने वर्ष 2011 में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गांवों की लीजबैक की जांच कराई थी, जिसमें अनियमितता पाई गई थीं। इसके बाद लीजबैक के सभी प्रकरणों की जांच के लिए एसआईटी जांच की सिफारिश की थी। शासन ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। मामले की जांच कर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी।
शासन स्तर 533 में से 237 प्रकरणों को बीते साल अक्तूबर में खारिज कर दिया गया था। इसको लेकर किसानों ने नाराजगी जताई थी। किसानों के प्रदर्शन करने पर पुन: जांच के आदेश दिए गए थे। शासन के आदेश पर एसआईटी ने 237 प्रकरणों की दोबारा सुनवाई की। किसानों ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उनकी लीजबैक किस आधार पर खारिज की गई। अब एसआईटी की पुन: जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले किसानों से चर्चा के साथ उनके सुझाव भी मांगे गए। किसानों का प्रतिनिधिमंडल बीते दिनों एसआईटी अध्यक्ष से भी मिला था।
किसानों से जुड़े अन्य मुद्दों में भी तेजी आएगी
जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के आबादी भूखंड, शिफ्टिंग जैसे मुद्दे भी लंबित पड़े हैं। किसान लगातार मांग कर रहे हैं। समस्याओं के निस्तारण के लिए कमेटी गठित कर दी गई है, जो सुनवाई कर रही है। उम्मीद है कि आचार संहिता हटने के बाद किसानों से जुड़े सभी मुद्दों में तेजी आएगी। इसको लेकर तैयारी चल रही है।
क्या है लीजबैक
गांव पास स्थित ऐसी जमीन जिस पर किसान का दावा होता है कि वह उसकी आबादी की जमीन है। उस पर घर बना है। प्राधिकरण द्वारा ऐसी जमीन का अधिग्रहण कर लिए जाने पर किसान से वापस मुआवजा जमा कराकर जमीन उसके नाम लीजबैक कर दी जाती है।
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के एसीईओ सुनील कुमार सिंह ने कहा, 'लीजबैक के 237 प्रकरणों की एसआईटी द्वारा पुन: की गई जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर ली गई। इसको इसी सप्ताह एसआईटी अध्यक्ष को सौंप दिया जाएगा। शासन की मुहर के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।'