दिल्ली मेट्रो के चार कॉरिडोर पर आर्थिक संकट का साया, 'आप' सरकार के राजस्व में कमी का असर
दिल्ली सरकार की आर्थिक तंगी का असर अब मेट्रो परियोजनाओं पर भी दिखने लगा है। सरकार के राजस्व में आई गिरावट के चलते फिलहाल मेट्रो के चार कॉरिडोर दिल्ली सरकार की प्राथमिकता सूची से बाहर हो गए हैं।...
दिल्ली सरकार की आर्थिक तंगी का असर अब मेट्रो परियोजनाओं पर भी दिखने लगा है। सरकार के राजस्व में आई गिरावट के चलते फिलहाल मेट्रो के चार कॉरिडोर दिल्ली सरकार की प्राथमिकता सूची से बाहर हो गए हैं। इसमें 43.45 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर मेट्रो फेज चार के हैं, जबकि एक कीर्ति नगर से बामनौली विलेज का है। इस पर पहली बार नियो मेट्रो चलाई जानी है। दिल्ली मेट्रो की ओर से कोविड से पहले ही इसकी डीपीआर भेज दी गई थी और सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
मेट्रो फेज चार में कुल 108 किलोमीटर के छह कॉरिडोर बनाए जाने थे। अब तक तीन कॉरिडोर पर मंजूरी मिली है, जिस पर काम शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक इसके बचे हुए तीन कॉरिडोर नरेवा-रिठाला-बवाना (22.91 किलोमीटर), लाजपतनगर से साकेत (7.96 किलोमीटर) और इंद्रप्रस्थ से इंद्रलोक (12.58 किलोमीटर) को मंजूरी नहीं मिली है। लागत कम करने के लिए सबसे बड़े नरेला-बवाना कॉरिडोर पर मेट्रो लाइट चलाने का फैसला लिया गया है, जिससे इसकी लागत 30 फीसदी घटकर महज 2714 करोड़ रह गई है।
फिलहाल रुपये लगाने के मूड में नहीं : सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार के पास मेट्रो फेज चार के बचे हुए तीनों कॉरिडोर की फाइल कोविड के पहले से पड़ी है। तीन कॉरिडोर के अलावा दिल्ली में कीर्ति नगर से बामनौली विलेज तक 19 किलोमीटर का एक कॉरिडोर बनाने की योजना है। इस पर पहले लाइट मेट्रो चलाने की योजना थी, लेकिन लागत कम करने के लिए अब इस पर नियो मेट्रो चलाई जाएगी।
इससे इसकी लागत अब 2673 करोड़ रुपये से घटकर 2000 करोड़ रह जाएगी। दिल्ली मेट्रो के साथ दिल्ली सरकार के राजस्व में कमी आई है, उसके बाद से सरकार फिलहाल ऐसी योजनाओं पर पैसा लगाने के मूड में नहीं है।
गिरा राजस्व : दिल्ली सरकार की मानें तो बीते दो वर्ष से उनके राजस्व में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में जब सरकार को 50 हजार करोड़ से अधिक राजस्व की उम्मीद थी, तब 41 फीसदी कम राजस्व मिला। लॉकडाउन से सरकार के राजस्व में कमी आई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक सरकार राजस्व लक्ष्य से पीछे चल रही है। उसमें 23 फीसदी तक की गिरावट आई है। यही वजह है कि सरकार फिलहाल जरूरी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है।
बनने पर फायदा : फेज चार के तीन कॉरिडोर को मंजूरी मिलती है तो वहां रहने वालों को फायदा मिलेगा। इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ कॉरिडोर का फायदा उस इलाके के लोगों को मिलेगा। वर्तमान में इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन है। वहां से नई दिल्ली में आने के लिए लोगों को पहले ब्लू लाइन पर कीर्ति नगर आना पड़ता है। इस कॉरिडोर के बनने से लोग सीधे जुड़ेंगे। इसी तरह नरेला-रिठाला-बवाना कॉरिडोर का फायदा इन इलाकों के अलावा डीडीए की ओर से यहां बसाए जा रहे सब सिटी के लोगों को होगा। यहां 2.50 लाख फ्लैट बनाने की योजना है। डीपीआर की मानें तो डीडीए इस कॉरिडोर के लिए 200 करोड़ रुपये निर्माण में देने के लिए तैयार है।
क्या है खास?
●108.55 किलोमीटर मेट्रो फेज चार में बनाया जाना है
●06 कॉरिडोर बनाए जाने की योजना है इस फेज में
●65.10 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर को मंजूरी मिल चुकी है
●43.45 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर को मंजूरी का इंतजार
सरकार के राजस्व में कमी
वित्तीय वर्ष राजस्व अनुमान कम मिला
2020-21 50,000 41%
2021-22 43,000 23%
(करोड़ रुपये) कम (अब तक)
मेट्रो के राजस्व में आई कमी
वित्तीय वर्ष राजस्व मिला
2019-20 3,897.3 करोड़ रुपये
2020-21 895.9 करोड़ रुपये।
किन कॉरिडोर पर चल रहा काम
वर्तमान में फेज चार के 65.10 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर तुगलकाबाद से एयरोसिटी, जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम और मौजपुर से मजलिस पार्क के बीच पर काम चल रहा है। तीनों कॉरिडोर को कोविड से पहले ही केंद्र से मंजूरी मिल गई थी।