दिल्ली-NCR में 12 दिन में दो बार कांपी धरती, इस बार तगड़े झटके, क्या किसी बड़े खतरे के संकेत?
दिल्ली एनसीआर के इलाकों में सोमवार देर रात को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र किर्गिस्तान और झिंजियांग के बीच था। इसकी तीव्रता 7.01 मापी गई। दिल्ली के लिए क्या संकेत?
दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न शहरों में सोमवार देर रात को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र चीन के दक्षिणी शिनजियांग क्षेत्र में 80 किलोमीटर की गहराई में था। चीन के दक्षिणी शिनजियांग क्षेत्र में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.2 दर्ज की गई। भूकंप की तीव्रता इतनी तीव्र थी कि इसके झटके दिल्ली एनसीआर तक महसूस किए गए। भूकंप से घबराकर लोग अपने घरों के बाहर आ गए। बीते 12 दिन में यह दूसरी बार है जब दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में 11 जनवरी को हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के पास था। इसकी तीव्रता 6.1 मापी गई थी। इस भूकंप के झटके लाहौर, इस्लामाबाद और खैबर पख्तूनख्वा शहरों में भी महसूस किए गए थे। सवाल उठता है कि दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप के झटके क्यों महसूस किए जा रहे हैं। क्या ये भूकंप किसी अनहोनी के संकेत तो नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के इलाके सिस्मिक जोन-4 के दायरे में आते हैं। सिस्मिक जोन-4 में आने वाले इलाके भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं।
राष्ट्रीय भूकंप केन्द्र में विज्ञानी जेएल गौतम बताते हैं कि दिल्ली हिमालय के नजदीक है। मौजूदा वक्त में हिमालयी क्षेत्र में हिन्दुकुश से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक भारतीय और यूरेशियन प्लेटों में टकराव हो रहा है। इसी वजह से हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भीय हलचलें ज्यादा देखने को मिल रही हैं। इससे क्षेत्र में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे भूकंपों से धरती के भीतर की ऊर्जा बाहर निकल जाती है। यही कारण है कि नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में फिलहाल में किसी बड़े भूकंप की आशंका नहीं है।