द्वारका एक्सप्रेसवे : DDA ने निजी जमीन पर बना दी सड़क, दिल्ली हाईकोर्ट ने ठोका 'मोटा' जुर्माना
बेंच के सामने डीडीए ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। बेंच ने इस कृत्य को गलत करार देते हुए कहा कि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा करने में देरी की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में देरी नहीं की जा सकती।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 226 (द्वारका एक्सप्रेसवे) के निर्माण के दौरान बिना अधिग्रहण किए दो बीघा जमीन पर सड़क और फुटपाथ बना दिया। भूमि मालिक ने गैरकानूनी कब्जे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था।
हाईकोर्ट ने इस मामले में जमीन मालिक को 98 लाख 27 हजार 82 रुपये का भुगतान करने को कहा है। इस मामले में भूमि मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि कापासेहड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव की उसकी दो बीघा और चार बिस्सा से अधिक जमीन पर गैरकानूनी तरीके से डीडीए ने सड़क व फुटपाथ बना दिया। जमीन मालिक ने डीडीए के कब्जे को चुनौती देते हुए कहा कि इसके बदले उसे वैकल्पिक जमीन दिलाई जाए।
बेंच के सामने डीडीए ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। बेंच ने डीडीए के इस कृत्य को गलत करार दिया है। बेंच ने यह भी कहा कि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा करने में देरी की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में देरी नहीं की जा सकती।
बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में पारदर्शिता अधिनियम 2013 भूमि अधिग्रहण से आपत्ति नहीं है। डीडीए भी इस भूमि के अधिग्रहण करने की पहले ही संबंधित विभाग को सिफारिश कर चुका है। वर्ष 2021 से यह कार्य शुरू भी हो गया है, लेकिन अभी मुद्दा भूमि मालिक की मुआवजे के अतिरिक्त वैकल्पिक जमीन प्राप्ति का है, लेकिन बेंच हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों के मद्देनजर वैकल्पिक जमीन आवंटन का आदेश नहीं दे सकती।
हाईकोर्ट के आदेश
● संबंधित विभाग अधिग्रहण की अधिसूचना चार सप्ताह के भीतर जारी करे
● मुआवजा रकम और अन्य उचित लाभ तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता को दिए जाएं
● याचिकाकर्ता संतुष्ट न हो तो उसके पास अन्य कानूनी अधिकार रहेंगे
● याचिकाकर्ता को 98 लाख 27 हजार रुपये डीडीए की ओर से दिए जाएं
● याचिकाकर्ता रकम लेने से इनकार करता है तो राशि रजिस्ट्रार के यहां जमा करनी होगी