DTC के ड्राइवर ढंग से बस चलाएं, बस स्टॉप पर रोकें; कोर्ट ने परिवहन मंत्रालय को दिये अहम आदेश
जज ने कहा कि बस स्टैंड पर डीटीसी बस के ड्राइवर ने बस को सिर्फ धीमा किया था रोका नहीं था। ड्राइव करते वक्त बस का फ्रंट गेट भी खुला हुआ था। इसके अलावा ड्राइवर लापरवाही से बस चला रहा था।
दिल्ली की एक अदालत ने परिवहन मंत्रालय को चेताया है कि वो यह सुनिश्चित करें कि डीटीसी बसों के ड्राइवर सही तरीके से बस चलाएं। दरअसल अदालत एक शख्स की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें डीटीसी बस ड्राइवर की लापरवाही की वजह से एक हादसे में उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया। दरअसल पीड़ित जब बस में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे तब बस ड्राइवर ने ठीक से बस नहीं रोका और वो अपना संतुलन खोकर सड़क पर गिर गये थे। जिसके बाद उनका पांव बस के पहिये के नीचे आ गया था। अदालत ने ड्राइवर की लापरवाही से पांव गंवाने वाले पीड़ित को 51 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का बी आदेश दिया है। Motor Accident Claim Tribunal (MACT), के जज एकता गौबा मान ने यूनाइटेड इंडिया इश्योरेंस को आदेश दिया कि पीड़ित सुदर्शन प्रधान को 51 लाख रुपये दिये जाएं। जज ने कहा कि बस स्टैंड पर डीटीसी बस के ड्राइवर ने बस को सिर्फ धीमा किया था रोका नहीं था। ड्राइव करते वक्त बस का फ्रंट गेट भी खुला हुआ था। इसके अलावा ड्राइवर लापरवाही से बस चला रहा था। याचिकाकर्ता जब बस पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे तब वो सड़क पर गिर गये और बस के पहिये ने उनके पैर को कुचल दिया।
जज ने कहा, 'मैं दिल्ली यातायात विभाग को आदेश देता हूं कि वो यह सुनिश्चित करें कि डीटीसी बस के ड्राइवर सही तरीके से बस चलाएं और बस स्टॉप पर बस को रोकें और ड्राइविंग के वक्त बस के किसी भी गेट को खुला ना रखें। बस के दरवाजे सिर्फ बस स्टॉप पर लोगों के बस में चढ़ते समय खुलने चाहिए ताकि लोग बस में सवार हो सकें। अदालत ने कहा कि डीटीसी बस एक सार्वजनिक परिवहन है और लोगों को सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने का अधिकार है।' MACT जज ने पीड़ित सुदर्शन प्रधान की याचिका का निवारण करते हुए यह निर्देश दिये हैं। बता दें कि सुदर्शन प्रधान 16 अक्टूबर, 2020 को इस हादसे का शिकार हुए थे। उस वक्त उनकी उम्र 39 साल थी। वो आईएएस एकेडमी में चपरासी के तौर पर काम कर रहे थे। हादसे के बाद उन्होंने बस ड्राइवर, डीटीसी और यूनाइटेड इंडिया इश्योरेंस कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि 16 अक्टूबर, 2020 को वो अपने घर संत नगर, बुराड़ी अपने दोस्त टिंकू मंडल के साथ जा रहे थे। वो दोनों बस स्टैंड पर खड़े होकर बस का इंतजार कर रहे थे। सिग्नेचर अपार्टमेंट के विपरित दिशा में वो खड़े थे। करीब साढ़े बारह बजे डीटीसी की एक बस काफी तेज रफ्तार में उस तरफ आ रही थी। बस का फ्रंट गेट खुला हुआ था। याचिकाकर्ता ने बस को रुकने का सिग्नल दिया। बस के ड्राइवर ने बस को धीमा कर दिया। लेकिन जैसे ही याचिकार्ता ने बस में चढ़ने का प्रयास किया उसी समय बस ड्राइवर ने बस को तेज गति से आगे बढ़ा दिया और सुदर्शन प्रधान फिसल कर नीचे गिर पड़े और बस का पहिया उनके पांव को रौंदते हुए निकल गया। याचिकाकर्ता उस वक्त गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे औऱ उन्हें लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।