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दिल्ली में 57 इमारतें असुरक्षित, कब की जाएंगी जमींदोज? ऐक्शन की मांग

Delhi Unsafe Buildings: दिल्ली नगर निगम ने इस साल जून और जुलाई के दौरान दिल्ली में 30 लाख से अधिक इमारतों का सर्वे किया था जिसमें 57 असुरक्षित पाई गई थीं। कब की जाएंगी जमींदोज...

Krishna Bihari Singh राहुल मानव, नई दिल्लीMon, 16 Oct 2023 05:49 PM
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भूकंप की लगातार हो रही गतिविधियों के बाद अब लोगों में खतरनाक और असुरक्षित इमारतों के सर्वे की मांग तेज हो गई है। इससे पहले दिल्ली नगर निगम ने इस वर्ष 2023 में जून व जुलाई के दौरान दिल्ली में 30 लाख से अधिक इमारतों का सर्वे किया था। जिसमें 57 इमारतें असुरक्षित पाई गई थीं। इसके अलावा 292 इमारतों पर सर्वे में ऐसी चिन्हित हुई थी, जिनमें मरम्मत कार्य की आवश्यकता थी। अब आरडब्ल्यूए, सोसाइटी और कॉलोनियों के प्रतिनिधियों की ओर से दिल्ली में खतरनाक और असुरक्षित इमारतों पर उचित कार्रवाई और निगरानी करने के लिए ठोस नीति बनाने और एक स्वतंत्र समिति के गठन करने की मांग उठ रही है। 

इमारत के संरचनात्मक प्रमाण पत्र पर बने नीति
दिल्ली के ज्यादातर इलाके सिस्मिक जोन 4 में आते हैं। ऐसे में इस संबंध में खतरनाक व असुरक्षित इमारतों के सर्विलांस और सर्वे के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है। यूनाइटेड आरडब्ल्यूएज ज्वाइंट एक्शन, दिल्ली संगठन के अध्यक्ष अतुल गोयल ने कहा कि डीडीए मास्टर प्लान 2041 के ड्राफ्ट में इमारतों के संरचनात्मक प्रमाण पत्र के संबंध में एक ठोस नीति बनानी चाहिए। 

बेहतर कार्य योजना तैयार की मांग
इससे पहले भी हम दिल्ली में खतरनाक और असुरक्षित इमारतों को लेकर एक बेहतर कार्य योजना तैयार करने की लगातार मांग करते रहे हैं। जब तक डीडीए मास्टर प्लान 2041 का ड्राफ्ट अधिसूचित नहीं होता है। तब तक डीडीए मास्टर प्लान 2021 के तहत इमारतों के संरचनात्मक के प्रमाण पत्र के संबंध में एक कानूनी प्रावधान लागू कर दिया जाए। जिससे हर भवन निर्माण से पहले उसके नक्शे पास कराने से पूर्व संरचनात्मक प्रमाण पत्र को लेना अनिवार्य किया जाए। पुरानी इमारतों के लिए यह प्रमाण पत्र विभागों से लिया जाए।

स्वतंत्र समिति का हो गठन 
अतुल गोयल ने कहा कि खतरनाक व असुरक्षित इमारतों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन होना चाहिए। यह नागरिक केंद्रित समिति हो। जिसमें दिल्ली के आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में समिति का हिस्सा बने। इस समिति डीडीए, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), राज्य सरकार के विभाग, केंद्र सरकार के विभाग, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, आईआईटी दिल्ली व अन्य विभागों व एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ सुप्रीम कोर्ट व दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज को भी शामिल करना चाहिए। 

मकान के ऊपर कई मंजिलें बना ली 
अतुल गोयल ने कहा कि 20 वर्षों से अंतराल में कई जगहों पर दिल्ली में दो मंजिल के मकान के ऊपर एक से दो और मंजिल लोगों ने बना दी है। इसमें यह निरीक्षण किया जाना चाहिए कि यह कदम लोगों ने नियम अनुसार किया है या नहीं। इस बारे में जिम्मेदार विभागों को सर्विलांस तेज करने की जरूरत है। 

खतरनाक इमारतों पर ऐसे होती है कार्रवाई
निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी में खतरनाक इमारतों का सर्वे हर वर्ष मानसून से ठीक पहले अप्रैल से जून के दौरान होता है। इस सर्वे की तैयारी अप्रैल से पहले ही शुरू हो जाती है। इसके अतिरिक्त निगम का भवन विभाग पूरे वर्ष सभी जोन की इमारतों की लगातार निगरानी भी करता है। इसमें निगम के भवन विभाग की टीमें नियमों के अनुसार प्रत्येक जोन में इमारतों का निरीक्षण करती हैं। इसमें व्यवसायिक और आवासीय इमारतें शामिल होती हैं। दिल्ली में आरडब्ल्यूए, सोसाइटी, कॉलोनियों के प्रतिनिधि खतरनाक व असुरक्षित इमारतों के बारे में निगम से लिखित में शिकायत कर सकते हैं। इन सभी शिकायतों को समयबद्ध तरीके से दूर किया जाता है। 

इमारत के खतरनाक होने पर किया जाता है ध्वस्त 
निगम के भवन विभाग से जुड़े इंजीनियर खतरनाक व असुरक्षित इमारतों की शिकायत मिलने पर उसका निरीक्षण करते हैं। नियमों के अनुसार इमारत के खतरनाक व असुरक्षित होने की स्थिति में मालिक को सूचना दी जाती है। यदि इमारत में आवश्यकता अनुसार मरम्मत कार्य करने पर वह ठीक हो सकती है। तो मालिक को मरम्मत का खर्च उठाते हुए उसे ठीक करने के लिए कहा जाता है। अगर इमारत की मरम्मत नहीं की जा सकती है और वह बेहद खतरनाक और असुरक्षित है तो ऐसी परिस्थिति में नियम अनुसार इमारत को ध्वस्त करने का फैसला लिया जाता है। इमारत के ध्वस्त करने का खर्च भी मालिक को देना होता है।

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