स्कूलों की बदहाली पर LG दफ्तर ने केजरीवाल के मंत्री को घेरा, AAP ने ऐसे किया पलटवार
दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों ने दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर नगर निगम से संबंधित एक अहम फाइल को छह महीने से रोककर रखने का आरोप लगाया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों ने दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर नगर निगम से संबंधित फाइल छह महीने से रोककर रखने का आरोप लगाया है। उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारी ने बताया कि निगम में बहुत काम बजट की कमी के चलते काम प्रभावित हो रहे हैं। इसमें लैंडफिल साइटों पर कूड़े का निपटान, एमसीडी स्कूलों और अस्पतालों का रखरखाव शामिल है। धन जारी करने के लिए एलजी ने निगमायुक्त को मंत्री सौरभ भारद्वाज से बीते 6 मार्च को फाइल वापस लेने के लिए कहा था। यह फाइल मंत्री के पास 9 अक्टूबर 2023 से लंबित है। आदेश के बाद तीन दिन में उन्हें फाइल लौटानी थी, लेकिन अब तक उन्होंने यह फाइल नहीं भेजी है।
दिल्ली हाईकोर्ट में शुक्रवार को जब इसके बारे में पूछा गया तो सरकार के वकील ने यह कहकर अदालत को गुमराह किया कि मुख्यमंत्री के जेल में होने की वजह से फाइल को मंजूरी नहीं दी गई।
स्थायी समिति नह होने से परेशानी : नियमों के अनुसार, निगमायुक्त 5 करोड़ रुपये के कार्य को ही मंजूरी दे सकते हैं। इससे अधिक राशि के कार्य को स्थायी समिति की मंजूरी चाहिए, लेकिन निगम में बीते डेढ़ वर्ष से स्थायी समिति नहीं होने के चलते अधिक राशि वाले कार्य मंजूर नहीं हो पा रहे हैं।
डेस्क, किताब और दवा नहीं खरीद पा रहे
अधिकारियों ने बताया कि सितंबर 2023 में शहरी विकास मंत्रालय को निगमायुक्त की आर्थिक शक्ति पांच करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ करने का प्रस्ताव भेजा था। यह शक्ति उस समय तक देने के लिए कहा था, जब तक स्थायी समिति का गठन नहीं होता। छह महीने तक मंत्री ने इस पर निर्णय नहीं लिया। इसके चलते स्कूलों में डेस्क, किताब, अस्पताल की दवाइयां नहीं खरीदी जा सकीं।
एलजी चाहते हैं भाजपा चलाए नगर निगम : आप
वहीं, निगम की फाइल रोकने के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल पर पलटवार किया है। 'आप' ने कहा कि उपराज्यपाल चाहते हैं कि चुनाव हारने के बाद भी दिल्ली नगर निगम को भाजपा ही चलाए। इसलिए वह दिल्ली नगर निगम की सारी शक्तियां उनके अधीन आने वाले आयुक्त को दिलवाना चाहते हैं। 'आप' का आरोप है कि उपराज्यपाल ने गैरकानूनी ढंग से भाजपा के पदाधिकारियों को एल्डरमैन बनाया, जिसकी वजह से आज तक स्थायी समिति नहीं बन सकी। बीते कुछ महीने से निगम के कई कार्य रुके हुए हैं। निगम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें, स्कूल बैग और स्कूल ड्रेस अभी तक नहीं मिली है।
निगम आयुक्त की वित्तीय शक्तियां केवल 5 करोड़ तक के काम करने की है। पहले 5 करोड़ से अधिक की राशि वाले टेंडर नगर निगम की स्थायी समिति द्वारा पास होती थी। इसके बाद निगमायुक्त टेंडर जारी करते थे। यह इसलिए होता है ताकि आयुक्त चुने हुए निगम के प्रति जवाबदेह रहें।
निगम आयुक्त ने एक भी प्रस्ताव नहीं रखा
'आप' ने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए दिल्ली नगर निगम ने बीते जनवरी में रेजोल्यूशन पास किया था। इसमें स्थायी समिति की सभी शक्तियां नगर निगम के सदन को दे दी गई थीं, ताकि पांच करोड़ से बड़े काम निगम सदन द्वारा पास किए जा सकें, लेकिन आज तक निगमायुक्त ने पांच करोड़ से अधिक राशि वाले कार्यों का एक भी प्रस्ताव सदन में नहीं रखा है। एलजी आयुक्त को निर्देश जारी करें कि वह सभी प्रस्ताव दिल्ली नगर निगम के सदन के समक्ष रखें।