'DDA-MCD सब फेल हो गए, हम शॉक्ड हैं', अवैध निर्माण की जांच CBI से कराने का इशारा कर बोला HC
इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की अहम बेंच ने पूछा कि अगर यह प्रॉपर्टी सील की जा चुकी है तो तीन मंजिला कंस्ट्रक्शन कैसे हो गया, और इसीलिए हम सीबीआई से इस मामले की जांच करवाना चाहते हैं।
दिल्ली में अवैध निर्माणों को रोक पाने में नाकाम रहने वाले प्राधिकरणों पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा कि इससे शहर में पूरी तरह कानून का राज खत्म हो जाएगा और पूरा सिस्टम नष्ट हो जाएगा। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी एस अरोड़ा की एक बेंच ने कहा कि कोर्ट यह देख कर शॉक्ड है कि केंद्र द्वारा संरक्षित निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरा के नजदीक अवैध निर्माण को रोक पाने में प्राधिकरणें नाकाम रही हैं। अब अदालत ने इस मामले में CBI जांच के आदेश दिए जाने का इशारा किया है। अदालत ने कहा है कि कोई भी संस्था या अथॉरिटी अवैधता को कायम रखने के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती है।
अदालत की बेंच ने कहा, 'एक बार हम जांच को सीबीआई के पास ट्रांसफर करेंगे तब दिल्ली पुलिस की भूमिका की भी जांच होगी। सभी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। यह कई एजेंसियों की नाकामी है। यह एजेंसियां जो कि जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं वो पूरी तरह फेल हो गईं। यह हैरत में डालने वाला है।' अदालत ने कहा कि अगर इसकी अनुमति दी जाएगी तो शहर में पूरी तरह कानून खत्म हो जाएगा और सब कुछ नष्ट जाएगा तथा यह समाज के लिए अच्छा नहीं है।
अदालत में Jamia Arabia Nizamia Welfare Education Society नाम के एक एनजीओ ने याचिका दायर की थी। एनजीओ ने दावा किया था कि हजरत निजामुद्दीन दरगाह के गेट के नजदीक खसरा नंबर-556, जियारतगेस्ट अवैध और गैरकानूनी तरीके से बना है। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि इस अवैध निर्माण के खिलाफ ना तो दिल्ली नगर निगम और ने कोई ऐक्शन लिया और ना ही ना ही दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कुछ किया। यह अवैध निर्माण ऐतिहासिक धरोहर के नजदीक डीडीए की जमीन पर किया गया है।
अब प्रॉपर्टी के मालिक ने मुख्य पिटीशन में एक एप्लिकेशन लगाई है और मांग की है कि उन्हें वो कागजात दिखाने की अनुमति दी जाए कि कैसे उन्होंने यह प्रॉपर्टी ली। अदालत की बेंच ने पूछा कि अगर प्रॉपर्टी सील की जा चुकी है तो तीन मंजिला कंस्ट्रक्शन कैसे हो गया, और इसीलिए हम सीबीआई से इस मामले की जांच करवाना चाहते हैं। हम किसी को बेवजह परेशान करना नहीं चाहते हैं।' अदालत में अब मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी।