भगोड़े अपराधियों पर कसेगी नकेल, सर्वर पर अपलोड होगी क्राइम कुंडली; दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए आदेश
अब भगोड़े माफियाओं, बदमाशों पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने बदमाशों की क्राइम कुंडली को सर्वर पर अपलोड करने की दिशा में एक बड़ा आदेश पारित किया है। जाने अदालत ने क्या कहा...
अब भगोड़े अपराधियों और कुख्यात बदमाशों पर शिकंजा कसना पुलिस के लिए आसान हो जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre, NIC) से भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण अपलोड करने के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य तकनीकी सुविधाएं विकसित करने को कहा है, ताकि पुलिस को इन कुख्यात बदमाशों की क्राइम कुंडली हासिल करने में मदद मिल सके। ऐसा होने से राज्यों के पुलिस प्रशासन को भगोड़े एवं कुख्यात अपराधियों पर शिकंजा कसने में आसानी होगी।
सॉफ्टवेयर विकसित करने का आदेश
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को एक ऐसा सॉफ्टवेयर और अन्य सुविधाएं विकसित करने का आदेश दिया है, जिसके जरिए आम नागरिक भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की मदद कर सके। न्यायालय ने एनआईसी से कहा कि ऐसा सॉफ्टवेयर/ऐप तैयार करे, जिसकी मदद से लोग भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण व उनके ठिकानों के बारे में जानकारियां अपलोड कर सकें या पुलिस को दे सकें, ताकि अपराधियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने में मदद मिल सके।
गठित की समिति
उच्च न्यायालय ने अपने इस आदेश के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। न्यायालय ने हाल ही में पारित आदेश में कहा कि डाटा को शुरुआत में आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाएगा। बाद में सत्यापन के बाद एनआईसी द्वारा विकसित किए जाने वाले सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा।
समिति करेगी निगरानी
एनआईसी भगोड़े अपराधियों और व्यक्तियों के नाम व अन्य विवरण अपलोड करने के लिए परियोजना लागू करने के वास्ते डाटा को लेकर उपरोक्त निगरानी समिति के मार्गदर्शन में आवश्यक सॉफ्टवेयर विकसित करेगी और बुनियादी ढांचा, वेब स्पेस और अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी।
जांच के बाद अपलोड करें डाटा
न्यायालय ने कहा है कि शुरुआत में भगोड़े अपराधियों/ लोगों से जुड़ी जानकारी को आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाए। इसकी पहुंच केवल अधिकृत व्यक्तियों तक ही हो, जब तक कि डाटा की जांच, पुन: जांच और हितधारकों द्वारा सत्यापन नहीं किया जाता है। न्यायालय ने कहा है कि जानकारी के सत्यापन के बाद ही इसे दिल्ली की जिला अदालतों के लिए एनआईसी द्वारा विकसित प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा सकता है।