दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द किया DTC का 32 साल पुराना फैसला, बस कंडक्टर को नौकरी से निकाले जाने को ठहराया अवैध
जस्टिस गौरंग कंठ ने कर्मचारी के हक में फैसला देते हुए कहा है कि ‘यदि कोई कर्मचारी किसी आवश्यक कार्य की वजह से सूचना दिए बगैर अवकाश पर रहता है तो उसे कदाचार नहीं माना जा सकता है’।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना बताए 15 दिन तक छुट्टी करने के आधार पर दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा 32 साल पहले बस कंडक्टर को नौकरी से हटाए जाने के फैसले को अवैध ठहराया है।
जस्टिस गौरंग कंठ ने कर्मचारी के हक में फैसला देते हुए कहा है कि ‘यदि कोई कर्मचारी किसी आवश्यक कार्य की वजह से सूचना दिए बगैर अवकाश पर रहता है तो उसे कदाचार नहीं माना जा सकता है’। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है तो कर्मचारी रामेश्वर दयाल के पास अवकाश के पर जाने की उचित वजह थी। वह इलाज के लिए अवकाश पर गया था और बाद में इलाज के सभी जरूरी दस्तावेज भी पेश किए।
जस्टिस कंठ ने यह टिप्पणी करते हुए औद्योगिक न्यायाधिकरण के 2003 के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में डीटीसी द्वारा 1991 में बस कंडक्टर रामेश्वर दयाल को 15 दिन की अवैध छुट्टी के चलते नौकरी से निकाले जाने के आदेश को रद्द कर दिया था।
हाईकोर्ट ने रामेश्वर दयाल को नौकरी से निकालने के डीटीसी के 1991 के फैसले को अवैध ठहराया है। साथ ही, डीटीसी को रामेश्वर दयाल की रिटायरमेंट की उम्र तक का पूरा वेतन-भत्ता देने का आदेश दिया है। साथ ही उनके कानूनी वारिसों को पेंशन सहित रिटायरमेंट के सभी लाभ देने का आदेश दिया है।