किशोरी ने पुलिस को बताए बिना मांगी गर्भपात की इजाजत, हाईकोर्ट ने याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली बेंच ने इस किशोरी की मां की याचिका पर नोटिस जारी किया एवं अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होकर अदालत की मदद करने का अनुरोध किया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को सूचित किए बगैर 16 वर्षीय एक किशोरी का गर्भपात कराने के लिए मांगी गई अनुमति पर शुक्रवार को केंद्र एवं दिल्ली सरकार से उनका रुख जानना चाहा। इस किशोरी उसकी सहमति से एक करीबी व्यक्ति के साथ संबंध में थी।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली बेंच ने इस नाबालिग लड़की की मां की याचिका पर नोटिस जारी किया एवं अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल से सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होकर अदालत की मदद करने का अनुरोध किया। इस किशोरी को 18 सप्ताह का गर्भ है।
चीफ जस्टिस शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि गर्भपात में कोई समस्या है ही नहीं क्योंकि नाबालिग के साथ यौन अपराध में पीड़िता की सहमति अर्थहीन होती है तथा बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) की धारा 19 के तहत अनिवार्य तौर पर इस घटना के बारे में पुलिस को सूचित किया जाए।
अदालत ने कहा- यदि लड़की नाबालिग है तो यह एक अपराध है
अदालत ने कहा कि यदि वह नाबालिग है तो यह एक अपराध है। इस मामले की सूचना पुलिस को दी जाए। भले ही उनकी इसमें दिलचस्पी न हो, लेकिन यह राज्य के विरुद्ध अपराध है। बेंच ने अगली सुनवाई के लिए इस मामले को 20 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया।
याचिकाकर्ता के वकील अमित मिश्रा ने दावा किया कि अस्पतालों ने बगैर पुलिस को सूचित किए गर्भपात करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि नाबालिग परस्पर सहमति से रिश्ते में थी और अब उसका परिवार 'शर्म एवं अपमान के मारे' इस मामले को रिपोर्ट करना नहीं चाहता।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस में रिपोर्ट करने से उस पर सामाजिक दाग लग जाएगा और यदि गर्भपात की अनुमति नहीं मिली तो नाबालिग अपनी कम उम्र के चलते बच्चे का पालन-पोषण नहीं कर पाएगी।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की बेटी को निजता, निजी स्वायत्तता, गरिमा , प्रजनन पसंद का मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार से अविभाज्य है।
उसमें कहा गया है कि नाबालिग को अपना गर्भ गिराने की अनुमति नहीं मिलने पर वह गर्भपात किसी झोलाछाप डॉक्टर या किसी गैर पंजीकृत या अवैध (चिकित्सा) केंद्र में जाएगी और उससे उसके स्वास्थ्य के लिए कुछ जटिलताएं या गंभीर जोखिम हो सकता है।