2012 गैंगरेप केस : दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- सबूतों के अभाव में दुष्कर्म का दोषी नहीं ठहरा सकते
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बलात्कार के अपराध के लिए सबूतों के अभाव में दोषसिद्धि कायम नहीं रखी जा सकती है, जबकि शिकायतकर्ता का बयान विरोधाभासों से भरा हुआ है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2012 के...
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बलात्कार के अपराध के लिए सबूतों के अभाव में दोषसिद्धि कायम नहीं रखी जा सकती है, जबकि शिकायतकर्ता का बयान विरोधाभासों से भरा हुआ है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2012 के गैंगरेप मामले में तीन लोगों को बरी कर दिया है।
जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के 2016 के आदेश के खिलाफ अपीलों का निपटारा करते हुए सोमवार को यह टिप्पणी की। हालांकि उनके खिलाफ चिकित्सा साक्ष्य के मद्देनजर मामले में तीन अन्य की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। तीन दोषियों की सजा को बरकरार रखते हुए बेंच ने कहा कि दुष्कर्म सबसे बर्बर और जघन्य अपराधों में से एक है, जो पीड़िता की गरिमा के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ किया गया अपराध है।
बेंच ने इसके साथ ही दोषी ठहराए गए अभियुक्तों की सजा को रद्द करने से इनकार कर दिया है, जबकि अन्य तीन को बरी करने के संबंध में बेंच ने कहा कि इस तरह के मामलों में शिकायतकर्ता की एकमात्र गवाही पर दोष साबित होना आधारित होता है। हालांकि, बेंच ने कहा कि इसके लिए पीड़िता के बयान एक जैसे हर समय रहें। उसके बयानों में विरोधाभास न हो।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस मामले में आरोपियों ने एक कूड़ा बीनने वाली एक महिला को जबरन कार में खींच लिया और उसके साथ बलात्कार किया। बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि ये अपराध एक महिला के पवित्र शरीर और समाज की आत्मा के खिलाफ हैं। यह प्रत्येक अदालत का कर्तव्य है कि वह अपराध की प्रकृति और तरीके को देखते हुए उचित सजा सुनाए। बेंच ने कहा कि चिकित्सा साक्ष्य व फोरेंसिक रिपोर्ट के रूप में पर्याप्त सामग्री है, जो तीन अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराती है।
तीन आरोपियों को मिला संदेह का लाभ
निचली अदालत ने एक दोषी को 12 साल के सश्रम कारावास, जबकि अन्य दो को दस साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने, गौर किया कि जांच के विभिन्न चरणों में दर्ज शिकायतकर्ता महिला के बयानों में कई विरोधाभास थे और इस प्रकार तीन अन्य अपीलकर्ताओं की संलिप्तता को प्रमाणित करने के लिए चिकित्सा साक्ष्य के अभाव में इन तीन आरोपियों का संदेह का लाभ दिया गया है।