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भूकंप के लिहाज से दिल्ली कितनी सुरक्षित, आपदा का सामना करने के लिए कितने तैयार हैं हम?

दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में मंगलवार को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल में बताया जाता है। भूकंप के लिहाज से दिल्ली कितनी सेफ इस रिपोर्ट में जानें...

Krishna Bihari Singh हिंदुस्तान, नई दिल्लीWed, 4 Oct 2023 01:26 AM
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Earthquake in Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के इलाकों में मंगलवार को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके इतने तगड़े थे कि लोग डरकर घरों से बाहर निकल आए। ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को ये झटके काफी तेज महसूस किए गए। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप के झटके उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में महसूस किए गए। लखनऊ में लोग इमारतों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र नेपाल में बताया जा रहा है। नेपाल में दोपहर 2:51 बजे भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 दर्ज की गई। 

भूकंप के लिहाज से दिल्ली बेहद संवेदनशील
भूकंप के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर के इलाके बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। विज्ञानियों की मानें तो धरती की प्लेट्स में जब असंतुलन होता तब ये खिसकती हैं। इसके चलते बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है नतीजतन भूकंप महसूस किए जाते हैं। विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली से होकर कई फाल्ट लाइन (दिल्ली सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन) गुजरती हैं। ये सभी एक्टिव फॉल्ट लाइनों में शामिल हैं। 

भूकंपीय जोन-4 में स्थित है दिल्ली 
विज्ञानियों की मानें तो दिल्ली कम से कम सात फॉल्ट लाइनों पर स्थित है। यही वजह है कि हिमालयी इलाकों में जब भी कोई बड़ा भूकंप आता है तो इसका असर दिल्ली एनसीआर तक महसूस किया जाता है। नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अफगानिस्तान में आने वाले बड़े भूकंपों का असर दिल्ली से गुजरने वाली फाल्ट लाइनों तक होता है जिससे राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में हल्के झटके महसूस किए जाते हैं। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी के मुताबिक, दिल्ली में बड़े भूकंप की आशंका कम है लेकिन खतरे से इनकार भी नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह भूकंपीय जोन-4 में स्थित है। 

घनी बसाहट से करना होगा परहेज
भूकंप के लिहाज से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है। भूकंपीय जोन-4 में स्थित होने के कारण दिल्ली बेहद संवेदनशील क्षेत्र मानी जाती है। खासकर दिल्ली का रिज क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। दिल्ली हिमालयी क्षेत्र से भी नजदीक है इसलिए भूकंप के झटके दिल्ली तक महसूस किए जाते हैं। दिल्ली में आबादी और बसाहट बेहद घनी है। भूकंप के लिहाज से इस तरह की बसाहट को कतई सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। इसको लेकर समय समय पर रिपोर्टें आती रही हैं। ऐसे में वैज्ञानिक तरीके से निर्माण ही सेफ रहेगा। 

80 फीसदी इमारतें असुरक्षित
कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में भूकंप के लिहाज से इमारतें नहीं बनी हैं। सात की तीव्रता का भूकंप आया तो भारी जान-माल की हानि हो सकती है। रिपोर्ट में दिल्ली की 80 प्रतिशत इमारतों को असुरक्षित माना गया। अतिक्रमण कर बनाई गई इमारतों की स्थिति और भी बदतर है। पूर्वी दिल्ली में बनी पुरानी इमारतों अधिक तीव्रता का भूकंप नहीं झेल सकती हैं। यहां की संकरी गलियों में बड़े भूकंप की स्थिति में मदद तक नहीं पहुंच सकती है।

निर्माण कार्यों पर ध्यान देना जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर इमारतों में रहना जोखिम भरा है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीबाद के अलावा एनसीआर के सभी शहरों में भूकंपरोधी घर नहीं बनाए जा रहे हैं। कुछ ही इमारतों में भूकंपरोधी नियमों का पालन किया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान में प्रोफेसर अनिल गुप्ता का कहना है कि राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। मकान भूकंपरोधी तकनीकी से बने रहे हैं या नहीं इसकी जांच जरूरी है।

कच्ची कॉलोनियों में विनाश की स्थिति होगी : हाईकोर्ट
दिल्ली में भूकंप के झटकों से इमारतों को सुरक्षित रखने के संबंध में कार्रवाई योजना को लागू करने में असफल रहने पर दिल्ली हाईकोर्ट भी चिंता जता चुका है। एक जनहित याचिका पर दिल्ली की इमारतों को लेकर अप्रैल 2015 में नेपाल में भूकंप का जिक्र भी दिल्ली हाईकोर्ट कर चुका है। टिप्पणी में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि दिल्ली में नेपाल जैसा भूकंप आता है तो यहां मौतों का आंकड़ा लाखों में हो सकता है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि अधिक तीव्रता का भूकंप अनधिकृत कॉलोनियों में विनाश की स्थिति पैदा कर सकता है।

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