दिल्ली के हौजखास में डीटीसी की इलेक्ट्रिक बस बनी आग का गोला, चंद मिनट में हुई राख
गुरुग्राम के पास कुंडली-मानेसर एक्सप्रेसवे पर शुक्रवार रात एक बस में लगी आग में नौ लोगों की जान चली गई थी। दिल्ली के हौजखास में भी रविवार को डीटीसी की इलेक्ट्रिक बस में इस तरह की आग लग गई।
गुरुग्राम के पास कुंडली-मानेसर एक्सप्रेसवे पर शुक्रवार रात एक बस में लगी आग में नौ लोगों की जान चली गई थी। दिल्ली के हौजखास में भी रविवार को डीटीसी की इलेक्ट्रिक बस में इस तरह की आग लग गई, जिसमें बस जलकर राख हो गई। गनीमत रही कि घटना से पहले ही सभी यात्रियों को उतारा जा चुका था, वरना कोई बड़ा हादसा हो सकता था।
सूचना पर पहुंची दमकल विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। जानकारी के अनुसार, बुराड़ी डिपो की यह बस सुबह करीब 11 बजे रूट नंबर 502 पर जा रही थी। महरौली से यह बस जब हौजखास के पद्मिनी एंक्लेव के पास मुख्य मार्ग पर पहुंची तो एसी ने काम करना बंद कर दिया। इस वजह से ड्राइवर ने आईआईटी गेट पर यात्रियों को बस से उतार दिया और एसी खराब होने की शिकायत डिपो में दर्ज कराई। आईआईटी गेट से कुछ ही दूर स्टॉप के पास पहुंचते ही बस में धुआं उठने लगा। चालक जब तक कुछ समझ पाता बस से आग की लपटें निकलने लगीं और इसने विकराल रूप ले लिया।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रथम दृष्टया आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। जांच के बाद ही पूरी जानकारी मिल सकेगी।
बीते साल शामिल हुई थी, गुणवत्ता पर सवाल उठे
डीटीसी की इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति बीते साल सर्दियों में हुई थी। उनका संचालन शुरू होने के बाद गर्मी का यह पहला सीजन है। डीटीसी कर्मचारी यूनियन ने बसों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। संविदा कर्मचारी नेता मनोज शर्मा ने आरोप लगाया कि बसों की मेंटिनेंस समय पर नहीं की जा रही है और इनमें नकली कलपुर्जे डाले जा रहे हैं।
कार में आग लगने से यातायात प्रभावित
दक्षिणी दिल्ली के मोदी मिल फ्लाईओवर के समीप रविवार शाम एक कार में आग लग गई। इसके चलते आश्रम से बदरपुर जाने की दिशा में वाहनों के लिए निकलना मुश्किल हो गया। दमकल विभाग द्वारा आग बुझाने तक यहां से वाहनों को निकलने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसकी वजह से लगभग आधा घंटे तक यातायात प्रभावित रहा।
इनके कारण आए दिन सड़कों पर जाम लग रहा
राजधानी में बसों की खराबी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। दिल्ली में लगातार सड़कों पर बसों के खराब होने से जाम की समस्या रहती है। इसका एक बड़ा कारण डीटीसी एवं क्लस्टर के बेड़े में पुरानी बसों का होना है। इनमें से काफी बसें अपनी आयु पुरी कर चुकी हैं। इन बसों को जल्दी से सड़क किनारे भी नहीं किया जा सकता। बसों को मौके से हटाने या ठीक करने में कई बार एक घंटे तक का समय लग जाता है।
ठंडा रखने वाले रंगों का पेंट करने से 12 तक गिर सकता है तापमान
बसों में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए महत्वपूर्ण है कि सफेद व ठंडा रखने वाले रंगों से बसों पर पेंट किया जाए। यह बेहद भारी रंगों जैसे काले व अन्यों की तुलना में तापमान को 10 से 12 डिग्री तक कम कर देते हैं। इससे सूरज की किरणें बसों के ढांचे में समाहित नहीं होती है।
यह किरणें बसों के ढांचे से टकराकर वापस चली जाती है। इससे बसों के ढांचे को बेहद ज्यादा गर्मी में ठंडा रखा जा सकता है। अभी गर्मी बढ़ने से बसों के विभिन्न उपकरण भी गर्म हो जाते हैं। जिस वजह से किसी शॉट सर्किट या अन्य कारणों से ई-बसें, सीएनजी बसों में आग लगने की घटना सामने आ रही हैं। इनकी रोकथाम के लिए सबसे कारगर उपाय ये है कि बसों में सफेद व ठंडा रखने वाले रंगों का पेंट किया जाए। साथ ही गर्मियों में बसों के संचालन से पहले नियमित रूप से उसके उपकरण व अन्य चीजों की ठीक तरह से निरीक्षण भी किया जाए। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी तरीके की यदि तकनीकी खराबी है तो उसे तुरंत बस को सड़क पर चलाने से पहले उसे ठीक कर लिया जाए।
इस तरह के सुरक्षा इंतजाम जरूर करें
● सार्वजनिक बसों व टैक्सियों में आग बुझाने वाले यंत्रों का लगा होना अनिवार्य है। विभाग इसकी लगातार निगरानी भी करें।
● ई-बस, सीएनजी बसों में पांच से अधिक आग बुझाने वाले यंत्रों को लगाया जाना चाहिए। बसों में मौजूद कर्मचारियों को इन्हें इस्तेमाल करने के लिए नियमित प्रशिक्षण देना आवश्यक है।
● गर्मियों के दौरान वाहनों को छांव और शेड के नीचे ही खड़ा करें, जिससे सूरज की किरणों से वाहन ज्यादा गर्म न हों।
● आग बुझाने वाले यंत्रों का नागरिकों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करें।