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दिल्ली के सागरपुर में ड्रग्स के लिए लगती थी लंबी लाइनें, अब कैसे हालात? ग्राउंड रिपोर्ट

सागरपुर को ड्रग्स के कारोबार के लिए 'हॉट स्पॉट' करार दिया गया था। सागरपुर के निवासियों की मानें तो पहले कुख्यात ड्रग पेडलर्स के घरों के बाहर कतारों में ग्राहक खड़े नजर आते थे। अब कैसे हैं हालात...

Krishna Bihari Singh करण प्रताप सिंह, नई दिल्लीSun, 21 July 2024 07:50 PM
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दिल्ली के सागरपुर में ड्रग्स के लिए लगती थी लंबी लाइनें, अब कैसे हालात? ग्राउंड रिपोर्ट

दिल्ली पुलिस के एंटी-नारकोटिक्स सेल की ओर से 2018 से 2023 के बीच किए गए कम से कम तीन अलग-अलग सर्वेक्षणों में जनकपुरी के पास के सागरपुर को ड्रग्स के कारोबार के लिए 'हॉट स्पॉट' करार दिया गया था। सागरपुर के निवासियों की मानें तो पहले कुख्यात ड्रग पेडलर्स के घरों के बाहर कतारों में ग्राहक खड़े नजर आते थे। पार्कों या अन्य सुनसान जगहों पर ड्रग्स का सेवन करते या इंजेक्शन लगाते हुए किशोरों को भी देखा जा सकता था। लेकिन अब सागरपुर में हालात बदले हैं। सागरपुर में क्या हैं मौजूदा सूरते-हाल इस रिपोर्ट में जानें...

क्या है हॉटस्पॉट बनने की वजह?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ड्रग्स के हॉट स्पॉट के रूप में चर्चित रहे सागरपुर की बदनामी का एक कारण यह भी कि यदि दूसरे इलाकों या सीमा पार (हरियाणा) से नशा करने वाले अपने इलाके में स्मैक, गांजा और हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ नहीं खरीद पाते तो सागरपुर में आने के बाद उनके हाथ कभी खाली नहीं रहते। हालांकि अब हालात बेहतर हुए हैं। पुलिस अधिकारियों ने स्थानीय कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए) और लोगों के साथ मिलकर सागरपुर की इस छवि को खत्म करने के लिए कदम उठाए हैं।

एक साल तक चला ऑपरेशन
पुलिस ने एक साल तक अभियान चलाया। इसमें उन घरों और स्थानों की पहचान की गई, जहां नशीले पदार्थ बेचे जाते थे। नशीली दवाओं के तस्करों, उनकी आपूर्ति श्रृंखला और कार्यप्रणाली का वर्गीकरण किया गया। अवैध गतिविधियों पर लगातार कार्रवाई की गई। नतीजतन करीब 20 प्रमुख तस्करों को गिरफ्तार किया गया। 15 ऐसे आरोपियों को जेल भेजा गया जो बार-बार अपराध करते पाए गए। पुलिस के अभियानों के कारण कई अन्य बदमाशों ने अपने ठिकानों को इलाके से बाहर शिफ्ट कर दिया।

कई इलाके 'नो ड्रग्स जोन' में तब्दील
अधिकारियों की मानें तो करीब एक साल बाद और कुछ मामलों को छोड़कर, यह इलाका लगभग 'नो ड्रग्स जोन' में तब्दील हो गया है। इस साल 6 जुलाई तक सागरपुर थाने में ड्रग्स से जुड़े चार लोगों की गिरफ्तारी के साथ केवल चार मामले दर्ज हुए हैं। पिछले साल इसी अवधि में 16 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, 2022 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत 17 मामले दर्ज किए गए जबकि 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

कैसे एक्टिव हुई पुलिस?
सागरपुर थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) कृष्ण बल्लभ झा ने कहा कि जब वह 2022 में पुलिस स्टेशन आए तो स्थानीय लोगों ने उनसे ड्रग्स के खतरे के बारे में शिकायत की। उनका कहना था कि ड्रग्स का सीधा असर उन पर और उनके बच्चों पर पड़ रहा था। इसके बाद अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की गई। पता चला कि सागरपुर, ब्रह्मपुरी, कैलाशपुरी और पश्चिमी सागरपुर जैसे इलाकों में ड्रग्स की बिक्री और इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। 

ऐसे जुटाई जानकारी
पुलिसकर्मियों ने नकली ग्राहक बनकर उन इलाकों का दौरा करना शुरू कर दिया, ताकि उन घरों की पहचान की जा सके, जहां ड्रग्स बेची जाती थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कम से कम छह टीमें बनाई गईं। इनमें से प्रत्येक में चार कर्मी शामिल थे। टीमों को पता चला कि सागरपुर में नशीली दवाओं की तस्करी एक संगठित अपराध है। इसे कुछ परिवारों की ओर से संचालित किया जा रहा है। 

बड़े-बड़े घरों से तस्करी
ड्रग्स तस्करों की पहचान की गई। टीमों ने उनके घरों और अन्य स्थानों की भी पहचान की, जहां वे अपना ड्रग व्यापार करते थे। टीमों ने संदिग्धों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी। उनकी कार्यप्रणाली और उनकी गतिविधि के समय का अध्ययन किया। पुलिस ने पाया कि ड्रग तस्कर अपने घरों के बंद लोहे के गेट के पीछे काउंटर लगाते हैं। ये गेट में एक छोटे से छेद से ड्रग्स बेचने के लिए वहां बैठते हैं। 

घरों पर छापे
पुलिस ने यह भी पाया कि ड्रग्स तस्करों ने पुलिस अधिकारियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए अपने घरों के आसपास की गलियों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए थे। तीसरे पुलिस अधिकारी ने बताया कि ड्रग्स तस्करों के साथी गलियों की रखवाली करते थे। पुलिस वाहनों की आवाजाही पर विशेष संकेत देते थे। ऐसे नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस को कुछ असामान्य कदम उठाने पड़े। पुलिस ने ऐसे घरों में अचानक छापेमारी शुरू कर दी। 

गैस कटर तक का इस्तेमाल
यही नहीं पुलिस ने गैस कटर तक का इस्तेमाल किया और गेट काटने से भी परहेज नहीं किया। गेट में किए गए छेदों को लोहे की प्लेटों से बंद कर दिया गया और गलियों में उनके द्वारा लगाए गए सीसीटीवी हटा दिए गए। नियमित रूप से लाउडस्पीकर से ड्रग तस्करों को अवैध कारोबार को बंद करने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जाती थी। यही नहीं प्रमुख डीलरों के घरों के बाहर स्थायी पुलिस पिकेट भी लगाई गई। 

तस्करों ने छोड़ा इलाका
पुलिस अधिकारियों ने 24 घंटे कर्मियों को तैनात किया। प्रमुख तस्करी स्थलों पर कई सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए। स्थानीय निवासियों की टीमें भी बनाई गई। नतीजतन, लगभग 50 फीसदी ड्रग तस्करों ने या तो अपनी अवैध गतिविधियों को बंद कर दिया है या खुद को सागरपुर से बाहर कर लिया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जो बदमाश जेल से बाहर आने के बाद भी अपराध जारी रखते हैं, उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाती है।

क्या कहते हैं लोग?
हालांकि जब हिन्दुस्तान टाइम्स ने पुलिस के दावों के बारे में निवासियों से बात की, तो मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई ने पुलिस के प्रयासों की सराहना की और इस बात पर सहमति जताई कि उनके इलाके में नशीले पदार्थों की बिक्री और इस्तेमाल में कमी आई है। 

चोरी-छिपे जारी है कारोबार, लेकिन आई कमी
हालांकि अन्य ने कहा कि अवैध गतिविधियां जारी हैं, लेकिन तरीके और गुप्त हो गए हैं। पहले लोग ऐसी गलियों या पार्क में जाने से डरते थे। अब ऐसी जगहें सुरक्षित दिखती हैं। एक अन्य निवासी, दीपक कुमार उर्फ ​​दीपू ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि सागरपुर पूरी तरह से बदल गया है। हां पुलिस की कार्रवाई से तस्करों पर कुछ हद तक असर हुआ है। लेकिन तस्करों के परिवार और सहयोगी गुप्त रूप से इस धंधे को जारी रखे हुए हैं।

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