दिल्ली: इमरजेंसी पैरोल पर जेलों से बाहर आए 80 कैदियों ने नहीं किया सरेंडर
कोरोना महामारी की शुरुआत में पिछले साल इमरजेंसी पैरोल पर जेलों से बाहर आए करीब 80 कैदियों ने अभी तक वापस जेलों में सरेंडर नहीं किया है। जेल अधिकारियों ने कहा कि वे दिल्ली पुलिस को उन सभी कैदियों...
कोरोना महामारी की शुरुआत में पिछले साल इमरजेंसी पैरोल पर जेलों से बाहर आए करीब 80 कैदियों ने अभी तक वापस जेलों में सरेंडर नहीं किया है।
जेल अधिकारियों ने कहा कि वे दिल्ली पुलिस को उन सभी कैदियों के नामों की सूची के साथ पत्र लिखेंगे जो अपनी पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद वापस लौटने नहीं लौटे हैं। कई जेल अधिकारियों ने अपने नाम गुप्त रखते हुए कहा कि इन 80 कैदियों में से कई हत्या के अपराधी हैं, जो इस महीने सरेंडर करने वाले थे।
सरेंडर की प्रक्रिया 6 फरवरी से शुरू हुई थी। कैदियों को अपनी संबंधित जेलों में शिफ्ट करने से पहले मंडोली जेल और क्वारंटाइन में सरेंडर करना है। मंडोली के अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक उप-जेल से 20-30 कैदी हैं, जिन्होंने अभी तक सरेंडर नहीं किया है। हमने मंडोली जेल को सरेंडर प्वॉइंट के रूप में चुना था ताकि अगर कोई कैदी कोविड-19 पॉजिटिव हो, तो उसके अन्य कैदियों के साथ घुलने मिलने से पहले संक्रमण का पता लगाया जा सके।
महामारी की शुरुआत में जेलों को बंद करने और सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के उपायों में से एक के रूप में लगभग 1,000 कैदियों को पिछले साल अप्रैल में इमरजेंसी पैरोल पर रिहा किया गया था। तिहाड़, मंडोली और रोहिणी की तीन जेलों में करीब 18,000 कैदी बंद हैं।
1,000 कैदियों के अलावा जिनका जेल में साफ रिकॉर्ड था और वो आतंकी अपराधों में गिरफ्तार नहीं किए गए थे या केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज मामलों में गिरफ्तार बंदियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था। तीन जेलों में कैदियों की स्वीकृत संख्या से अधिक होने पर दिल्ली सरकार के न्यायिक अधिकारियों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति और जेल विभाग ने कैदियों की संख्या कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
तीनों जेलों के अधिकारी भी महामारी की चपेट में आने के बाद से हाई अलर्ट पर हैं और महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की कई जेलों ने कोविड-19 मामलों की संख्या काफी अधिक है। यह पहली बार था जब इतने सारे कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था।
कैदियों को आठ सप्ताह के बाद सरेंडर करना था, लेकिन सरेंडर की तारीख को कई बार बढ़ाया गया क्योंकि कोविड-19 मामले पिछले साल नवंबर तक बढ़ रहे थे। अंत में, 6 फरवरी को सरेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई, इस दौरान जेल अधिकारियों ने यह पाया कि कई कैदियों ने वापस लौटने से इनकार कर दिया था।