Work From Home Fraud : वर्क फ्रॉम होम के नाम पर 11 हजार लोगों से ठगी, 3 लोग गिरफ्तार, चीन से जुड़े तार; ऐसे बनाते थे शिकार
डीसीपी ने बताया कि अभिषेक पहले पेटीएम में काम कर चुका है, जबकि सतीश फाइनेंस का विशेषज्ञ है और संदीप डीयू से स्नातक है। गैंग अब तक 11 हजार लोगों से न्यूनतम 200 रुपये से 5000 रुपये तक जमा करा चुका है।
Work From Home Fraud : दिल्ली की आउटर नॉर्थ साइबर पुलिस ने वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह देश में करीब 11 हजार लोगों से करीब छह करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है।
डीसीपी देवेश महला ने बताया कि बीते साल 26 सितंबर को रोहिणी निवासी युवती ने साइबर पुलिस को शिकायत दी थी। पीड़िता ने बताया कि उसने इंस्टाग्राम पर वर्क फ्रॉम होम का विज्ञापन देखकर आरोपियों से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वे ऑनलाइन बिक्री बढ़ाने के लिए काम करते हैं। पीड़िता ने उनके कहे अनुसार, ई-वॉलेट में 1.18 लाख रुपये विभिन्न शुल्क के नाम पर जमा कर दिए। जब ठगे जाने का अहसास हुआ तो उसने पुलिस को शिकायत दी। एसएचओ रमन सिंह की देखरेख में टीम का गठन कर गुरुग्राम से अभिषेक गर्ग, सतीश यादव और फरीदाबाद से संदीप महला को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी ने बताया कि अभिषेक गर्ग पहले पेटीएम में महत्वपूर्ण पद पर काम कर चुका है, जबकि सतीश फाइनेंस का विशेषज्ञ है और संदीप डीयू से स्नातक है। यह गिरोह अब तक 11 हजार लोगों से न्यूनतम दो सौ रुपये से पांच हजार रुपये तक जमा करा चुका है। एक बैंक खाते में बीते साल 22 सितंबर को पांच करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हुई थी जो ठगी की रकम थी।
विदेश से संचालित हो रहा गिरोह
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह का सरगना विकास मल्होत्रा जार्जिया और फिलीपींस से यह गिरोह चला रहा है। पूछताछ में मालूम हुआ कि अभिषेक देश में रहकर विकास के संपर्क में था। यह गिरोह सोशल नेटवर्किंग साइट इंस्टाग्राम, फेसबुक और टेलीग्राम आदि पर विज्ञापन देकर ठगी करते थे। यह वेबसाइट चीन से बनाई जाती थी।
वापस करने का लालच देकर फंसाते थे
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये लोग शिकार को असली अमेजन होने का झांसा देते। फिर ई-वॉलेट में दो सौ रुपये जमा कराकर ट्यूटोरियल दिखाते। इसके बाद ऑनलाइन बिक्री बढ़ाने का काम दिया जाता। गिरोह के सदस्य अपने शिकार से सामान खरीदकर ई-वॉलेट में बोनस जमा कर देते थे। पहले रुपये वापस कर दिए जाते थे, लेकिन रकम बढ़ती जाती और विभिन्न शुल्क के नाम पर लोगों से ठगी करते और उन्हें ब्लॉक कर देते।
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