'दिल्ली में आई बाढ़ के पीछे बड़ी साजिश'; AAP का BJP पर एक और गंभीर आरोप
क्या दिल्ली में आई बाढ़ के पीछे कोई बड़ी साजिश है। क्या हथिनीकुंड बैराज से षडयंत्र के तहत जानबूझकर दिल्ली में पानी छोड़ा जा रहा है? जानें बाढ़ से मचे हाहाकार पर क्या हैं दिल्ली सरकार के नए आरोप।
क्या राजधानी दिल्ली में आई बाढ़ के पीछे कोई बड़ी साजिश है। क्या हथिनीकुंड बैराज से किसी षडयंत्र के तहत जानबूझकर दिल्ली में पानी छोड़ा जा रहा है? दिल्ली में बाढ़ को लेकर मचे हाहाकार के बीच दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। 'आप' ने शनिवार को भाजपा पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए यह दावा किया कि "भाजपा हरियाणा में अपनी सरकार के जरिए बाढ़ प्रभावित दिल्ली को और डुबाने के लिए हथिनीकुंड बैराज का इस्तेमाल कर रही है।"
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 1978 में इससे भी ज्यादा भीषण बाढ़ आई थी, लेकिन अब दिल्ली में बारिश नहीं हो रही है तो फिर सवाल उठता है कि अब दिल्ली में यमुना का जलस्तर 1978 के स्तर से कैसे ऊपर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि जब 6 दिन से दिल्ली में बारिश नहीं हो रही है, तब भी बाढ़ आना यह सोचने वाली बात है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हथिनीकुंड बैराज से तीन तरफ को पानी निकलता है। मुख्य यमुना दी के साथ वेस्टर्न और ईस्टर्न कैनाल से भी हथिनीकुंड का पानी निकलता है। यमुना का पानी सीधे दिल्ली के बीचों बीच से होकर निकलता है। इस बार सारा पानी षड्यंत्र के तहत दिल्ली की तरफ छोड़ा गया। 12 और 13 जुलाई को यूपी की तरफ जाने वाली ईस्टर्न कैनाल में पानी नहीं छोड़ा गया। बीते साल चार लाख क्यूसेक पानी हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया, लेकिन वो साथ में दोनों कैनाल में छोड़ा गया। अब जब से हमने पूरे मामले को उठाया है तो ईस्टर्न कैनाल में पानी को छोड़ा गया है। 'आप' के नेता ने कहा कि इस राजनीति से पूरे हिंदुस्तान का नाम बदनाम होगा।
ओखला स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की सप्लाई शुरू
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यमुना में बाढ़़ के बाद तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब यमुना का पानी घट रहा है। शुक्रवार को ओखला स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 20 एमजीडी पानी की सप्लाई शुरू हो गई है लेकिन अभी 240 एमजीडी पानी प्रभावित है। दिल्ली की एक चौथाई आबादी इससे प्रभावित है। इसके लिए दिल्ली सरकार को खेद है, क्योंकि हम जानते हैं कि जनता को पानी चाहिए। हम कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट को सुखाकर पानी की आपूर्ति शुरू की जाए।
अधिकारी मंत्री के फोन नहीं उठा रहे
वहीं, सौरभ भारद्वाज ने यह भी आरोप लगाया कि एक अफसर एक चुनी हुई सरकार की बात को अनसुना कर रहे हैं। एलजी साहब की मौजूदगी में डीडीएमए की बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर शौचालय मौजूद नहीं है तो प्राइवेट से मांग लीजिए। हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन कैंपों में रह रहे लोगों को पूरी मदद मिलनी चाहिए। उसके बाद भी अधिकारियों ने क्या किया। अश्वनी कुमार डिविजन कमिश्नर और आपदा प्रबंधन के नोडल ऑफिसर हैं, लेकिन वो फोन नहीं उठा रहे हैं। आज हमारी मंत्री को उपराज्यपाल को पत्र लिखकर कहना पड़ रहा है कि अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं। अगर इतनी बड़ी आपदा में भी आप फोन नहीं उठा पा रहे हैं तो फिर नौकरी से इस्तीफा दे देना चाहिए। बाढ़ में फंसे लोगों को खाना, पानी देने में भी अधिकारियों को परेशानी हो रही है। उपराज्यपाल से अनुरोध करूंगा कि वो ऐसे अधिकारी पर कार्रवाई करें।
इससे पहले शुक्रवार को 'आप' के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आरोप लगाया था कि "भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में अपनी सरकार बाढ़ प्रभावित दिल्ली को और डुबाने के लिए हथिनीकुंड बैराज का उपयोग कर रही है।"
राघव चड्ढा ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "नफरत से पागल होकर, भाजपा, हरियाणा में अपनी सरकार के माध्यम से, बाढ़ प्रभावित दिल्ली को और डुबाने के लिए हथिनीकुंड बैराज का उपयोग कर रही है।"
'आप' नेता ने अपने ट्वीट में कहा, "याद रखें, दिल्ली के लोगों ने भाजपा को सात लोकसभा सांसद दिए हैं, जिन्होंने अब तक लोगों के लिए कुछ नहीं किया है।"
हरियाणा सरकार ने 'आप' के आरोपों का खंडन कर बताया भ्रामक
वहीं, 'आप' द्वारा भाजपा पर हथिनीकुंड बैराज से बाढ़ प्रभावित दिल्ली की ओर पानी को 'जानबूझकर' मोड़ने के लिए हरियाणा सरकार का इस्तेमाल करने का आरोप लगाए जाने के कुछ घंटों बाद हरियाणा की खट्टर सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि 'आप' के दावे 'भ्रामक' हैं और 1 लाख क्यूसेक से अधिक प्रवाह वाले पानी को दूसरी तरफ नहीं छोड़ा जा सकता है। हरियाणा के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने ट्विटर पर कहा कि केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के दिशानिर्देशों के अनुसार, 1 लाख क्यूसेक से अधिक प्रवाह वाला पानी पश्चिमी यमुना और पूर्वी यमुना नहर में नहीं छोड़ा जा सकता है।