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दिल्ली में इमारतों के निर्माण में भूकंप रोधी उपायों की अनदेखी; अब एक हजार को नोटिस

भूकंप के लिहाज से दिल्ली एक संवेदनशील क्षेत्र में शुमार है। इससे दिल्ली में इमारतों के निर्माण में भूकंप रोधी उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। उपायों की अनदेखी पर 1000 को नोटिस जारी हुए हैं।

Krishna Bihari Singh राहुल मानव, नई दिल्लीThu, 5 Oct 2023 12:20 AM
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दिल्ली में पिछले तीन वर्षों के दौरान दो दर्जन से ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। दिल्ली भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में शुमार है। यही वजह है कि इमारतों के निर्माण में भूकंप रोधी उपायों पर जोर दिया जा रहा है। यही नहीं दिल्ली-एनसीआर में इमारतों की संरचना को भूकंप अवरोधी के अनुरूप बदलने के लिए एक कमेटी का गठन हो चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के तहत वर्ष 2021 नवंबर में इस कमेटी का गठन हुआ था। इसमें कई विभाग और एजेंसियों को शामिल किया गया था। इन विभागों के प्रतिनिधियों ने मिलकर दिल्ली-एनसीआर में भूकंप अवरोधी उपायों की कार्य योजना तैयार की थी। 

एक हजार से अधिक इमारतों को नोटिस
कमेटी ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) को दिल्ली-एनसीआर में इमारतों की संरचना को भूकंप के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम को देखने के लिए जिम्मेदारी सौंपी थी। अब तक पिछले डेढ़ वर्षों में एनडीएमसी की तरफ से एक हजार से अधिक इमारतों को अपनी संरचनाओं को भूकंप अवरोधी प्रणाली में बदलने के लिए नोटिस भेजे जा चुके हैं। कमेटी की कार्य योजना के तहत यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।

एनडीएमसी, एमसीडी, डीडीए, एसपीए समेत कई विभाग हैं कमेटी का हिस्सा
कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि कोरोना काल के दौरान दिल्ली-एनसीआर में लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे थे। वर्ष 2020 और वर्ष 2021 के दौरान दिल्ली-एनसीआर में कई भूकंप के झटके महसूस हुए। इसके बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 नवंबर में एक कमेटी का गठन करने के निर्देश दिए थे। 

नोटिस भेजने की जिम्मेदारी
इस कमेटी में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) , दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) , स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए), दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एजेंसी - बिल्डिंग मैटेरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल (बीएमटीपीसी), आईआईटी दिल्ली जैसे विभागों व एजेंसियों को मिलाकर एक कमेटी का गठन हुआ। इसमें एनडीएमसी को इमारतों की संरचना की सुरक्षा के तहत नोटिस भेजने की जिम्मेदारी दी गई है। 

आवेदनकर्ताओं का डाटा भी लिया
एनडीएमसी ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से भवन निर्माण के लिए नक्शे पास कराने वाले सभी आवेदनकर्ताओं का डाटा भी लिया है। इससे एनडीएमसी को राजधानी में निजी व व्यवसायिक इमारतों का डाटा भी उपलब्ध हुआ है। जिसके आधार पर एनडीएमसी दिल्ली में भूकंप की सुरक्षा के मद्देनजर इमारतों का संचालन या जिम्मेदारी संभालने वालों को नोटिस भेज रहा है।  

सभी निजी व व्यावसायिक इमारतों को भेजे जा रहे हैं नोटिस
कमेटी के सदस्य ने बताया कि दिल्ली समेत एनसीआर के क्षेत्र में सभी निजी व व्यावसायिक और कॉरपोरेट व सभी तरह के ऑफिस का संचालन होने वाली इमारतों का सर्वे करने के लिए कमेटी को जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें कमेटी की यह भी जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई थी कि दिल्ली-एनसीआर में बनने वाली नई इमारतों की संरचना अब भूकंप अवरोधी क्षमता के अनुरूप भी बने। 

इमारतों को नोटिस
कमेटी में मौजूद विभागों और एजेंसियों को सुनिश्चित करना है कि कितनी और कौन सी इमारतें भूकंप के मद्देनजर सुरक्षित नहीं है। उन इमारतों को अपनी संरचनाओं को भूकंप अवरोधी क्षमता के अनुसार बदलने के लिए पत्र व नोटिस जारी करने के लिए भी कार्य योजना बनाई गई है। इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। पिछले डेढ़ वर्षों में एक हजार से अधिक दिल्ली-एनसीआर में इमारतों को नोटिस दिए गए हैं।

इंजीनियर से लेना होगा सर्टिफिकेट
कमेटी के सदस्य ने बताया कि जिन सभी इमारतों को अब तक नोटिस दिए गए हैं और अभी भी जिन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। उन सभी को प्रमाणित स्ट्रक्चरल इंजीनियर से भूकंप अवरोध या भूकंप के तहत सुरक्षा का सर्टिफिकेट लेना होगा। जिसमें यह इंजीनियर यह सुनिश्चित करेंगे कि इमारत या भवन भूकंप के मद्देनजर सुरक्षित है या नहीं। अगर वह सुरक्षित नहीं है तो उसे ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं है। असुरक्षित इमारत को सरंचना से जुड़ी नई तकनीक के इस्तेमाल को भूकंप अवरोधी स्वरूप में ढाल सकते हैं। इसमें प्रमाणित स्ट्रक्चरल इंजीनियर सहयोग करेंगे।

दो दर्जन से ज्यादा भूकंप के झटके तीन साल में हुए हैं महसूस
वहीं, स्कायमेट वेदर सर्विसेज के मौसम विज्ञान व जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में दो दर्जन से ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। दिल्ली में यमुना पार का इलाका सिस्मिक जोन-4 में आता है। इस पूरे इलाके में सभी इमारतों का बेहतर ढंग से सर्वे करना बेहद जरूरी है। जिससे इन सभी इमारतों को भूकंप अवरोधी क्षमता के अनुसार बदला जा सके। 

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