याद दिलाई पुरानी बातें, बताया अपना दर्द; अन्ना हजारे ने केजरीवाल से क्या-क्या कहा, पढ़ें पूरा लेटर
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुआ रहे अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेटर लिखा है। उन्होंने उनसे शराब की दुकानों को बंद करने की अपील की है। उन्होंने दो पन्ने का लेटर लिखा है।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुआ रहे अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेटर लिखा है। उन्होंने उनसे शराब की दुकानों को बंद करने की अपील की है। अन्ना हजारे ने कहा है कि दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर जो खबरें आ रही हैं, उनको पढ़कर वह दुखी हैं। आप यहां अन्ना हजारे का पूरा लेटर पढ़ सकते हैं।
प्रिय श्री अरविंद केजरीवाल,
विषय- दिल्ली राज्य सरकार द्वारा बनाई गई शराब नीति के बारे में
आप मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूं। पिछले कई दिनों से दिल्ली राज्य सरकार की शराब नीति के बारे में जो खबरें आ रही हैं, वह पढ़कर बड़ा दुख होता है। गांधी जी के 'गांव की ओर चलो' इस विचारों से प्रेरित होकर मैंने अपना पूरा जीवन गांव, समाज और देश के लिए समर्पित किया है। पिछले 47 सालों से ग्राम विकास के लिए काम और भ्रष्टाचार के विरोध में जन आंदोलन कर रहा हूं।
महाराष्ट्र में 35 जिलों में 252 तहसील में संगठन बनाया। भ्रष्टाचार के विरोध में ताथा व्यवस्था परिवर्तन के लिए लगातार आंदोलन किए। इस कारण महाराष्ट्र में 10 कानून बन गए। शुरू में हमने गांव में चलने वाली 35 शराब की भट्टियां बंद की। आप लोकपाल आंदोलन के कारण हमारे साथ जुड़ गए। तब से आप और मनीष सिसोदिया कई बार रालेगण सिद्धी गांव आ चुके हैं। गांववालों ने किया हुआ काम आपने देखा है। पिछले 35 साल से गांव में शराब, बीड़ी, सिगरेट बिक्री के लिए नहीं है। यह देखकर आप बहुत प्रेरित हुए थे। आप ने इस बात की प्रशंसा भी की थी।
राजनीति में में जान से पहले आपने स्वराज नाम से एक किताब लिखी थी। इस किताब की प्रस्तावना आपने मुझसे लिखवाई थी। इस स्वराज नाम की किताब में आपने ग्रामसभा, शराब नीति के बारे में बड़ी ड़ी बातें लिखी थीं। किताब में आपने जो लिखा वह आपको याद दिलाने के लिए नीचे दे रहा हूं...
गांवों में शराब की लत
समस्या: वर्तमान समय में शराब की दुकानों के लिए राजनेताओं की सिफारिश पर अधिकारियों द्वारा लाइसेंस दे दिया जाता है। वे प्राय: रिश्वत लेकर लाइसेंस देते हैं। शराब की दुकानों की कारण भारी समस्याएं पैदा होती हैं। लोगों को पारिवारिक जीवन तबाह हो जाता है। विडंबना है की जो लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। उन्हें इस बात के लिए कोई नहीं पूछता है कि क्या शराब की दुकान खुलनी चाहिए या नहीं? इन दुकानों को उनके ऊपर थोप दिया जाता है।
सुझाव: शराब की दुकान खोलने का कोई लाइसेंस तभी दिया जाना चाहिए जब ग्राम सभी इसकी मंजूरी दे दे और ग्राम सभा की संबंधित बैठक में, वहां उपस्थित 90 प्रतिशत महिलाएं इसके पक्ष में मतदान करें। ग्राम सभा में उपस्थित महिलाएं साधारण बहुमत से मौजूदा शराब की दुकानों को लाइसेंस भी रद्दा करा सके।' (स्वराज- अरविंद केजरीला' इस किताब से)
आपने 'स्वराज' नाम की इस किताब में कितनी आदर्श बातें लिखी थीं। तब आपसे बड़ी उम्मीद थी। लेकिन राजनीति में जाकर मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए हैं, ऐसा लगता है। इसलिए दिल्ली राज्य में आपकी सरकार ने नई शराब नीति बनाई। ऐसा लगता है कि जिससे शराब की बिक्री और शराब पीने को बढ़ावा मिल सकता है। गली-गली में शराब की दुकानें खुलवाई जा सकती हं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है। यह बात जनता के हित में नहीं है। फिर भी आपने ऐसी शराब नीति लाने का निर्णय लिया है। इससे ऐसा लगता है कि जिस प्रकार शराब की नशा होती है, उसी प्रकार सत्ता की नशा होती है। आप भी ऐसी सत्ता की नाश में डूब गए हो, ऐसा लगता है।
10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टीम अन्ना के सभी सदस्यों की मीटिंग हुई थी। उस वक्त आप ने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात रखी थी। लेकिन आप भूल गए कि राजनीतिक पार्टी बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त टीम अन्ना के बारे में जनता के मन में विश्वास पैदा हुआ था। इसलिए उस वक्त मेरी सोच थी कि टिम अन्ना देशभर में घूमकर लोकशिक्षण लोकजागृति का काम करना जरूरी था। इगर इस प्रकार लोकशिक्षण लोकजागृति का काम होता तो देश में कहीं पर भी शराब की ऐसी गलत नीति नहीं बनती। सरकार किसी भी पार्टी की हो, सरकार को जनहित में काम करने पर मजबूर करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों का एक प्रेशर ग्रुप होना जरूरी था। अगर ऐसा होता तो आज देश की स्थिति अलग होती और गरीब लोगों को लाभ मिलता। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। उसके बाद आप, मनीष सिसोदिया और आपके अन्य साथियों ने मिलकर पार्टी बनाी और राजनीति में कदम रखा। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को देखकर अब पता चल रहा है कि एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान करके जो पार्टी बन गई, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर चलने लगी। यह बहुत दुख की बात है।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए ऐतिहासिक लोकपाल और लोकायुक्त आंदोलन हुआ। लाखों की संख्या में लोग रास्ते पर उतर आए। उस वक्त केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की जरूरत के बारे में आप मंच पर बड़े बड़े भाषण देते थे। आदर्श राजनीति और आदर्श व्यवस्था के बारे में विचार रखते थे। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद आप लोकपाल और लोकायुक्त कानून को भूल गए। इतना ही नहीं, दिल्ली विधानसभा में आपने एक सशक्त लोकायुक्त कानून बनाने की कोशिश तक नहीं की। और अब तो आप की सरकार ने लोगों का जीवन बर्बाद करे वाली महिलाओं को प्रभावित करने वाली शराब नीति बनाई है। इससे स्पष्ट होता है कि आपकी कथनी और करनी में फर्क है।
मैं यह पत्र इसलिए लिख रहा हूं कि हमने पहले रालेगणसिद्धी गांव में शराब को बंद किया। फिर कई बार महाराष्ट्र में एक अच्छी शराब की नीति बने इसलिए आंदोलन किए। आंदोलन के कारण शराब बंदी का कानून बन गया। जिसमें किसी गांव और शहर में अगर 51 प्रतिशत महिलाएं शराबबंदी के पक्ष में वोटिंग करती हैं तो वहां शराबबंदी हो जाती है। दूसरा ग्रामरक्षक दल का कानून बन गया। जिसके माध्यम से महिलाओं की मदद में हर गांव में युवाओं का एक दल गांव में अवैध शराब के विरोध में कानूनी अधिकार के साथ कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है। दिल्ली सरकार द्वारा भी इस प्रकार की नीति की उम्मीद थी, लेकिन आप ने ऐसा नहीं किया। लोग भी बाकी पार्टियों की तरह पैसा से सत्ता और सत्ता से पैसा इस दुष्टचक्र में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं। एक बड़े आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को यह बात शोभा नहीं देती।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे