Hindi Newsएनसीआर न्यूज़11 prisoners from five states who went on parole during the Corona period went missing

कोरोना काल में पैरोल पर गए पांच राज्यों के 11 बंदी लापता

लापता हुए ये बंदी यूपी के अलावा उत्तराखंड, दिल्ली, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के हैं। इनमें से छह बंदी दो साल तो पांच बंदी आठ महीने से लापता हैं और पुलिस इनका सुराग नहीं लगा सकी है।

हिंदुस्तान योगेन्द्र सागर, गाजियाबाद।Wed, 19 Oct 2022 02:30 PM
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कोराना संक्रमण के चलते डासना जिला कारागार से पैरोल पर छोड़े गए पांच राज्यों के 11 बंदी लापता हो गए हैं। ये बंदी यूपी के अलावा उत्तराखंड, दिल्ली, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के हैं। इनमें से छह बंदी दो साल तो पांच बंदी आठ महीने से लापता हैं और पुलिस इनका सुराग नहीं लगा सकी है। जेल प्रशासन ने लापता बंदियों को ट्रेस करके उन्हें जेल में दाखिल करने के लिए संबंधित प्रदेशों की पुलिस से पत्राचार किया है।

अधिकांश जेलों में निर्धारित क्षमता से अधिक बंदी कैद हैं। 1704 बंदियों की क्षमता वाले डासना जिला कारागार में भी लगभग तीन गुना अधिक बंदी निरुद्ध हैं। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए शासन द्वारा जेल का भार कम करने के लिए सात साल से कम सजा वाले बंदियों को 8 सप्ताह के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए थे। इसी आदेश के क्रम में वर्ष 2020 से 2022 तक 123 बंदी पैरोल पर रिहा किए गए थे। इनमें महिला बंदी भी शामिल थीं। 

11 बंदी हुए लापता
कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो पैरोल की अवधि भी बढ़ा दी गई। कई बार पैरोल की अवधि बढ़ने के बाद अंत में बंदियों के जेल में आने की तारीख निर्धारित कर दी गई थी। इनमें से कुछ बंदियों को नवंबर, 2020, कुछ को नवंबर 2021 तथा कुछ को फरवरी 2022 तक जेल पहुंचना था, लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और कर्नाटक के 11 बंदी पैरोल पर जाने के बाद लापता हो गए।

सात बंदी पैरोल में अपराध कर दोबारा जेल आ गए 
जेल अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2020 से 2022 तक पैरोल पर छोड़े गए 123 बंदियों में से कुछ ने अपराध से नाता नहीं तोड़ा। वह पैरोल अवधि में ही दोबारा अपराध करके जेल पहुंच गए। इस अवधि में एक महिला समेत सात ऐसे बंदी शामिल हैं। इन्होंने पैरेल पर रिहा होते ही मारपीट, जानलेवा हमला, बलवा तथा अन्य आपराधिक घटनाएं कर डालीं, जिसके चलते जेल प्रशासन को इन्हें मजबूरन कैद रखना पड़ा।

बंदियों को तलाशने पर यह बात आई सामने
● फोन से संपर्क करने पर कुछ बंदियों ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए किराया न होने की बात कही। जेल अधिकारियों ने किराया देने का भी आश्वसन दिया, लेकिन इसके बावजूद वह नहीं लौटे।
● कुछ बंदी एक-दो दिन में आने का झांसा देते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने मोबाइल बंद कर लिए।
● कुछ बंदी जेल के रिकॉर्ड में दर्ज अपने पतों पर नहीं मिले।
● कुछ बंदी वापस जेल में वापस जाने से बचने के लिए पता बदलकर फरार हैं।
● कुछ बंदियों की आकस्मिक मौत हो चुकी है।
● लापता बंदी फिर से अपराध की दुनिया में उतर गए हैं।
● पता बदलने के बाद अपराध करने पर अन्य जेलों में बंद हो गए हैं।

लापता बंदियों में ये शामिल
1. जिनेश कुमार निवासी चौली सहाबुद्दीन थाना भगवानपुर जिला हरिद्वार उत्तराखंड।
2. ए. शानामुगन पल्लाई निवासी कंचेनाहल्ली बैंगलुरू कर्नाटक।
3. राकेश निवासी असदपुर नंगला थाना निवाड़ी गाजियाबाद।
4. शालू निवासी मोहल्ला कलघर थाना कोतवाली रामपुर।
5. यश निवासी नई सीमापुरी दिल्ली।
6. घनश्याम निवासी गांव जरमापुर थाना रामपुर मथुरा जिला सीतापुर।
(इन्हें 11 नवंबर 2021 तक जेल पहुंचना था)

7. विक्की निवासी गांव सदरपुर थाना कविनगर गाजियाबाद।
(इसे 15 नवंबर 2021 तक जेल पहुंचना था)

8. रोहित वाल्मीकि निवासी सोम बाजार खोड़ा गजियाबाद।
9. जगदीश निवासी जागृति विहार थाना कविनगर गाजियाबाद।
10. मुशर्रफ शेख निवासी मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल
11. मनीष निवासी मोहल्ला वराई थाना हापुड़ नगर, हापुड़।
(इन्हें 20 फरवरी 2022 तक जेल पहुंचना था)

इसे लेकर जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह ने कहा कि पैरोल पर रिहा किए गए 11 बंदी लापता हो गए हैं। जेल परिसर के बाहर बंदियों के संबंध में पुलिस की जवाबदेही होती है। लापता बंदियों को पकड़कर जेल में दाखिल करने के लिए संबंधित पुलिस को हर महीने रिमांडर भेजा जा रहा है, लेकिन अभी तक इन बंदियों के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। पुलिस ने बंदियों के बारे में अपडेट या जवाब भी नहीं भेजा है।

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