Smog Economy : दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुलते ही ‘स्मॉग अर्थव्यवस्था’ ने अचानक पकड़ी रफ्तार
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत रिकॉर्ड वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इस संकट से बचने के लिए लोग सेहत से जुड़े उत्पाद और सेवाओं को खरीद रहे हैं। इससे दवाइयां, मास्क, एयर प्यूरिफायर की बिक्री में तेजी आई है, जो ‘स्मॉग अर्थव्यवस्था’ की रफ्तार बढ़ा रही है।
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत रिकॉर्ड वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इस संकट से बचने के लिए लोग सेहत से जुड़े उत्पाद और सेवाओं को खरीद रहे हैं। इससे दवाइयां, मास्क, एयर प्यूरिफायर की बिक्री में तेजी आई है, जो ‘स्मॉग अर्थव्यवस्था’ (Smog Economy) की रफ्तार बढ़ा रही है। पेश है, सौम्या गुप्ता की रिपोर्ट...
क्या है स्मॉग अर्थव्यवस्था
खतरनाक हवा से खुद को बचाने के लिए एन95 मास्क और घरेलू एयर प्यूरिफायर संबंधी उत्पादों के व्यवसाय में वृद्धि होना, स्मॉग अर्थव्यवस्था से जुड़ा है। इसमें एलर्जी और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए दवाओं की बिक्री और इलाज करने वाले अस्पताल व क्लीनिक भी इसी अर्थव्यवस्था में शामिल हैं।
कौन से उत्पाद बढ़ रहे
रिसर्च फर्म फार्मारैक के अनुसार, सांस संबंधी दवाइयां इस साल भारत में सबसे तेजी से बढ़ते फार्मा उत्पादों में से एक हैं। यह वित्त वर्ष 2024 में साल-दर-साल 19.2 से बढ़ रही हैं। अक्टूबर 2021 में इसकी बिक्री 6,100 करोड़ रुपये से बढ़कर इस अक्टूबर में लगभग 10,000 करोड़ हो गई है। रिसर्च फर्म आईएमएआरसी ग्रुप का कहना है कि अगले 8 सालों में एयर प्यूरिफायर के दाम 14-15 की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वहीं एसर जैसे कई ब्रांड भारत में एयर प्यूरिफायर व्यवसाय में प्रवेश कर रहे हैं।
शहरों में लोगों का घूमना-फिरना कम हुआ
उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। वहीं दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख शहरों के निवासी घर से काम कर रहे हैं। आमतौर पर सर्दियों के महीनों में बाहर घूमना-फिरना बढ़ जाता है, लेकिन प्रदूषण के कारण प्रमुख शहरों में यह कम हो गया। लोग घर पर रह रहे हैं, एयर प्यूरीफायर का उपयोग कर रहे हैं। दूसरी ओर घर से बाहर निकलते वक्त मास्क पहनकर बाहर निकल रहे हैं।
राहत के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में जा रहे
प्रदूषण की समस्या को देखते हुए लोगों ने बाहर की बुकिंग की है। इसमें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित उत्तरी राज्यों के हिल स्टेशनों की यात्रा में वृद्धि हुई है। मसूरी, नैनीताल, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और कसौली जैसी जगहों पर लोगों की संख्या बढ़ रही है। वहीं जिनके पास पैसे हैं, वे पहाड़ी इलाकों में दूसरे घर भी खरीद रहे हैं। कुछ डेवलपर्स प्रदूषण से बचने के सुविधाजनक उपाय के रूप में पहाड़ पर सेकेंड होम या लग्जरी परियोजनाओं की मार्केटिंग कर रहे हैं।