सत्येंद्र जैन के बाद अब दो ‘सहयोगियों’ को भी जमानत, हाई कोर्ट ने कह दी बड़ी बात
हाई कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 पर प्रकाश डाला (जो जमानत देने पर कुछ प्रतिबंध लगाती है) और कहा कि इसका इस्तेमाल कैद के लिए एक औजार के रूप में नहीं किया जा सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन की संलिप्तता वाले कथित धन शोधन मामले में दो आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन को मंगलवार को जमानत दे दी। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने दोनों को यह कहते हुए राहत दी कि धन शोधन मामले में एक आरोपी की तुलना हत्या, बलात्कार या डकैती जैसे गंभीर अपराधों में शामिल लोगों से नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 पर प्रकाश डाला (जो जमानत देने पर कुछ प्रतिबंध लगाती है) और कहा कि इसका इस्तेमाल कैद के लिए एक औजार के रूप में नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने निर्देश दिया, दोनों आवेदकों को संबंधित जेल अधीक्षक/अदालत की संतुष्टि के लिए एक लाख रुपये की राशि के संबंधित निजी बांड और इतनी ही राशि की एक जमानत रकम के साथ नियमित जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। हालांकि, जमानत को कुछ शर्तों के अधीन रखा गया था, जैसे आरोपी व्यक्ति बिना अनुमति के दिल्ली/राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर नहीं जा सकेंगे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि वैभव और अंकुश दिल्ली के पूर्व मंत्री के व्यापारिक सहयोगी थे और उन्होंने अपराध को अंजाम देने में मदद की थी।
एक अदालत ने सत्येंद्र जैन को धन शोधन के एक मामले में ‘‘सुनवाई में देरी’’ और ‘‘लंबे समय तक जेल में रहने’’ का हवाला देते हुए 18 अक्टूबर को जमानत दे दी थी। उन्हें मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। यह मामला सत्येंद्र जैन के खिलाफ कथित तौर पर उनसे संबंधित चार कंपनियों के जरिए धन शोधन के आरोपों से जुड़ा है। ईडी ने दावा किया कि वैभव जैन और अंकुश जैन दिल्ली के पूर्व मंत्री के कारोबारी सहयोगी रहे हैं और उन्होंने अपराध में उनकी मदद की।
वैभव जैन की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और वकील मलक भट्ट ने की, जबकि अंकुश जैन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने पैरवी की। हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को इस आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र कथित रूप से अधूरा है। सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। अंकुश और वैभव को 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी का यह मामला 2017 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से संबद्ध है। अधीनस्थ अदालत ने 2022 में धन शोधन मामले के संबंध में सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और चार कंपनियों सहित आठ अन्य के खिलाफ ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) का संज्ञान लिया था।