Hindi Newsएनसीआर न्यूज़sali ke bacche ke main hun asli baap delhi high court mein jija ka dava DNA test ka aadesh

साली के बच्चे का मैं हूं असली बाप; HC में जीजा का दावा, DNA टेस्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा एक नाबालिग का जैविक पिता होने का दावा करते हुए उसकी कस्टडी मांगने पर बच्चे की डीएनए जांच का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता व्यक्ति बच्चे की मां का जीजा है।

Praveen Sharma नई दिल्ली। एएनआईSat, 28 Sep 2024 02:13 PM
share Share

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा एक नाबालिग का जैविक पिता होने का दावा करते हुए उसकी कस्टडी मांगने पर बच्चे की डीएनए जांच कराने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता व्यक्ति बच्चे की मां का जीजा है। हाईकोर्ट ने बच्चे के असली पिता का पता लगाने के लिए यह जांच कराने निर्देश दिया है। इस मामलें में अगली सुनवाई की तारीख 14 अक्टूबर को होगी।

हाईकोर्ट ने यह निर्देश इस बात पर गौर करने के बाद दिया कि बच्चे की जैविक मां ने उस व्यक्ति के दावे का खंडन किया है, जो उसका जीजा है। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने शुक्रवार को डीएनए जांच कराने और अगली सुनवाई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

बेंच ने कहा, "सभी तथ्यों पर गौर करते हुए, चूंकि प्रतिवादी संख्या 2 (मां) ने इस बात से इनकार किया है कि याचिकाकर्ता बच्चे का जैविक पिता है, इसलिए यह कोर्ट बच्चे के असली पिता का पता करने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का निर्देश देना उचित समझती है।''

बेंच ने बच्चे की मां के इस रुख पर गौर किया कि याचिकाकर्ता की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी उसकी सगी बड़ी बहन है। उसने अपने बच्चे को केवल उसकी शिक्षा के लिए याचिकाकर्ता और उसकी बड़ी बहन के साथ रहने की अनुमति दी थी।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इन सबके मद्देनजर, याचिकाकर्ता को अपना डीएनए सैंपल देने के लिए दिल्ली के जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल में 30 सितंबर 2024 को जाना चाहिए। साथ ही, संबंधित जांच अधिकारी बच्चे के डीएनए सैंपल देने के लिए उक्त समय पर बच्चे को भी उक्त अस्पताल ले जाएगा।

कोर्ट ने आदेश दिया, इसके बाद उक्त अस्पताल याचिकाकर्ता और बच्चे के डीएनए नमूने संबंधित जांच अधिकारी को उपलब्ध कराएगा, जो डीएनए टेस्ट करने के लिए उन्हें एफएसएल रोहिणी, दिल्ली में जमा करेगा। बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख तक एफएसएल रोहिणी से लेकर रिपोर्ट इस कोर्ट के समक्ष पेश की जाए। 

डीएनए जांच का आदेश देने से पहले बेंच ने बच्चे और उसकी मां के साथ ही याचिकाकर्ता से भी चैंबर में बातचीत की।

मां ने याचिकाकर्ता के बच्चे का पिता होने से किया इनकार

बच्चे मां ने इस बात से साफ इनकार किया कि याचिकाकर्ता बच्चे का जैविक पिता है। बच्चे ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह हमेशा याचिकाकर्ता और उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ रहता है, जिसे वह 'बड़े पापा' और 'बड़ी मम्मी' कहता है।

बच्चे और याचिकाकर्ता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। इसके अलावा, बच्चे की जैविक मां भी मौजूद थी।

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि इस बीच, बच्चा दिल्ली के अलीपुर चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज (सीएचबी) में रहेगा। याचिकाकर्ता को हर दिन 1 घंटे के लिए अलीपुर के सीएचबी में बच्चे से मिलने की अनुमति दी जाती है।

हैबियस कॉर्पस की याचिका पर दिया निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कॉर्पस की याचिका) पर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता के नाबालिग बेटे को पेश करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि नाबालिग बच्चा याचिकाकर्ता और उसकी साली का बेटा है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अधिकारियों को नाबालिग बच्चे को उसके समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता ने वकील उमेश चंद्र शर्मा और दिनेश कुमार के माध्यम से याचिका दायर की है।

बेंच ने आदेश में उल्लेख किया कि इस मामले के तथ्य अजीब हैं। याचिकाकर्ता के बारे में कहा गया है कि वह शादीशुदा है और अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कोलकाता में रह रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि बच्चे की मां उसकी साली है।

याचिकाकर्ता के साली से दो बेटे होने का दावा

इसके अलावा, यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता के उसकी साली से दो बेटे हैं और वर्तमान याचिका छोटे बेटे को पेश करने की मांग करते हुए दायर की गई है।

याचिकाकर्ता का मामला यह है कि उक्त नाबालिग बेटा पिछले 12 साल से उसके साथ कोलकाता में रहता है। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वह अपने नाबालिग बेटे के साथ बिहार में आया था, जहां से साली द्वारा उक्त नाबालिग बच्चे को उसकी कस्टडी से हटा लिया गया था।

वकील उमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा 1 जून, 2024 और 4 जून, 2024 को पुलिस स्टेशन रोशारा, समस्तीपुर, बिहार में शिकायत दर्ज कराई गई थी।

यह भी कहा गया कि 29 जुलाई, 2024 को पश्चिम बंगाल के हुगली सीडब्ल्यूसी द्वारा एस्कॉर्ट आदेश पारित किया गया था और अंत में 16 अगस्त, 2024 के आदेश के माध्यम से सीडब्ल्यूसी, दिल्ली ने संबंधित नाबालिग बच्चे को सीएचबी, अलीपुर, दिल्ली में रखने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उक्त नाबालिग बच्चा हमेशा उसके साथ रहा है और आगे भी उसके साथ रहना चाहता है। नाबालिग बच्चे ने वास्तव में इस आशय का बयान दिया है। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें