2 साल की बच्ची से रेप के दोषी को 25 साल की सजा, शारीरिक रेप ना होने की दलील को भी कोर्ट ने नहीं माना
- आरोपी के वकील ने उसके बचाव में तर्क दिया कि अपराध पूर्व नियोजित नहीं था, और वह शराब के नशे में था। हालांकि अदालत ने इस दलील को नहीं माना और कहा कि बेशक, अपराध के समय दोषी शराब के नशे में था।'
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दिल्ली की एक अदालत ने दो साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले एक शख्स को 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोषी ठहराए गए शख्स ने चार साल पहले शराब के नशे में इस वारदात को अंजाम दिया था। उसके वकील ने इसी आधार पर उसका बचाव करते हुए अदालत से रहम दिखाने की गुहार लगाई थी, हालांकि कोर्ट ने कहा कि नशे की हालत में होना उसके अपराध की गंभीरता को कम नहीं कर देता, वह भी तब जब उसने 'ड्राई डे' पर स्वेच्छा से शराब पी थी। अदालत ने दोषी के साथ इस आधार पर भी नरमी बरतने से इनकार कर दिया कि यह डिजिटल बलात्कार का मामला था, ना कि शारीरिक अंगों से होने वाले बलात्कार का। अदालत ने पीड़िता को 13.5 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा देने का आदेश भी दिया।
26 वर्षीय आरोपी को बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत पहले ही दोषी ठहराया जा चुका था। जिसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायालय बबीता पुनिया ने उसके खिलाफ सजा पर दलीलें सुनीं। सरकारी वकील श्रवण कुमार बिश्नोई ने अदालत से कहा कि इस जघन्य कृत्य के लिए दोषी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है।
आरोपी के वकील ने उसके बचाव में तर्क दिया कि अपराध पूर्व नियोजित नहीं था, और वह शराब के नशे में था। हालांकि अदालत ने इस दलील को नहीं माना और कहा कि 'बेशक, अपराध के समय दोषी शराब के नशे में था, हालांकि इससे उसके अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती। क्योंकि ऐसा करने के लिए उसे किसी ने मजबूर नहीं किया था और उसने स्वेच्छा से शराब पी थी, जबकि वह ड्राई-डे भी था।'
अदालत ने दोषी के साथ इस आधार पर भी नरमी बरतने से इनकार कर दिया कि यह डिजिटल बलात्कार का मामला था, ना कि लिंग-योनी से होने वाले बलात्कार का। जज ने कहा कि मैं इस बात से जरा भी सहमत नहीं हूं कि कानून की नजर में डिजिटल रेप और लिंग रेप के बीच किसी तरह का कोई फर्क है। उन्होंने कहा कि बलात्कार कानून के अनुसार यह अपराध कई तरह से अंजाम दिया जा सकता है। फिर चाहे वह लिंग-योनि, लिंग-मौखिक, लिंग-गुदा, उंगलियों या किसी वस्तु के जरिए योनि या गुदा में हो सकता है।
31 जनवरी को दिए अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि 'पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत अपराध के लिए दोषी को 25 साल के कठोर कारावास (RI) की सजा सुनाई जाती है, साथ ही 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है।' साथ ही कोर्ट ने कहा कि 'सजा की ये अवधि ना केवल समाज को उचित प्रतिशोध और पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि पुनर्वास की गुंजाइश भी छोड़ेगी।'
कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि पीड़िता एक कमरे में खेलने गई थी, जहां दोषी ने उसका यौन उत्पीड़न किया। एडिनशनल सेशल जज पुनिया ने कहा कि 'पीड़िता के लिए जो दिन खुशी का होना चाहिए था, वह उसके लिए एक हिंसक और दर्दनाक दिन बन गया। जो उसके और उसके परिवार के लिए जीवनभर एक कड़वी याद के रूप में रहेगा। मेरा मानना है कि हालांकि पीड़िता और उसके परिवार की पीड़ा की भरपाई आर्थिक रूप से नहीं की जा सकती, लेकिन उससे उसे थोड़ा आर्थिक संबल जरूर मिलेगा।' इसके बाद जज ने उसे 13.5 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा देने का आदेश दिया।