मुझे नहीं थी जानकारी; रिज एरिया में पेड़ों की कटाई पर बोले LG, हलफनामे में SC को क्या-क्या बताया
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि रिज एरिया में पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति जरूरी होती है। फरवरी में अदालत की अनुमति के बिना रिज एरया में 642 पेड़ों को काटा गया था।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि रिज एरिया में पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति जरूरी होती है। उन्होंने दावा किया उन्हें इसकी जानकारी तब हुई जब अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके उपाध्यक्ष को डीडीए के अध्यक्ष के तौर पर एलजी को इस बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया था। बता दें कि फरवरी में अदालत की अनुमति के बिना 642 पेड़ों को काटा गया था।
उपराज्यपाल ने मंगलवार देर रात कोर्ट द्वारा 16 अक्टूबर को पारित आदेश के जवाब में हलफनामा दायर किया। अदालत ने बिन्दु कपूरिया द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली के दक्षिणी रिज एरिया में लगभग 1100 पेड़ों को काटकर सतबारी के पास सड़क का निर्माण किया जा रहा है, ताकि अर्धसैनिक बलों के लिए सीएपीएफआईएमएस अस्पताल और दिल्ली पुलिस, सीबीआई, एनआईए और सीआईएसएफ के लिए अन्य आवासीय परियोजनाओं के अलावा सार्क विश्वविद्यालय जैसे मल्टी-स्पेशिएलिटी अस्पतालों तक बेहतर पहुंच मिल सके।
642 पेड़ काटे गए
अदालत द्वारा 3 फरवरी को पेड़ काटे जाने वाली जगह पर उनके दौरे, पेड़ों की कटाई के बारे में जानकारी और उसके बाद डीडीए द्वारा अदालत से अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदन के बारे में पूछे जाने के बाद एलजी ने अपनी चुप्पी तोड़ा। उन्होंने साफ कहा कि डीडीए के रिकॉर्ड के अनुसार, कुल 642 पेड़ काटे गए थे, न कि 1100, जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है। इनमें से 174 पेड़ गैर-वन क्षेत्र और 468 वन भूमि के अंतर्गत आते हैं।
साइट का दौरा करने पर एलजी ने कहा कि उनकी विजिट का उद्देश्य सीएपीएफआईएमएस अस्पताल के काम की प्रगति का जायजा लेना था। वापस लौटते समय वे सड़क निर्माण स्थल पर रुके और काम में तेजी लाने के आदेश दिए। हालांकि, एलजी ने कहा कि उन्हें पेड़ों की कटाई के लिए अदालत की मंजूरी लेने की अनिवार्यता के बारे में पता नहीं था। उनका मानना था कि इसके लिए केवल दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत अनुमति का इंतजार है, जिसके लिए दिल्ली सरकार के वन विभाग के पास एक आवेदन लंबित है।
किसी ने नहीं दी जानकारी
एलजी ने हलफनामे में कहा, 'विजिट के दिन साइट पर मौजूद किसी भी व्यक्ति ने पेड़ों की कटाई के लिए शीर्ष अदालत से अनुमति लेने की कानूनी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी नहीं दी।' किसी भी तरह से (काम में तेजी लाने का) निर्देश कानून को दरकिनार करने के लिए नहीं था।' सक्सेना ने कहा कि उन्हें पहली बार 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की अनिवार्यता के बारे में पता चला, जब अदालत ने डीडीए के आवेदन को खारिज कर दिया और प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया। तब तक भी एलजी को यह पता नहीं था कि पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं।
16 फरवरी से शुरू हुई थी कटाई
एलजी के अनुसार, पेड़ों की कटाई 16 फरवरी को शुरू हुई थी, यह बात उनके संज्ञान में 10 जून को आई। जब उन्हें डीडीए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा से एक पत्र मिला, जिसमें अदालत ने उन्हें पेड़ों की कटाई के संबंध में वास्तविक स्थिति से एलजी को अवगत कराने का आदेश दिया था। मई में, सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए वीसी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की और जून में बताया गया कि एलजी ने तीन फरवरी को साइट का दौरा किया था। इसके बाद अदालत ने वीसी को डीडीए अधिकारियों द्वारा की गई अवमानना के बारे में एलजी को अवगत कराने का निर्देश दिया था।