दिल्ली में प्रदूषण का जहर घोल रहे आधा फीसदी वाहनों पर भी नहीं हुई कार्रवाई, देखिए डेटा
यह जानकारी केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट में सामने आई। अलग-अलग शोध बताते हैं कि वाहनों से निकलने वाले धुएं की दिल्ली के प्रदूषण में हिस्सेदारी 42 फीसदी या उससे ज्यादा हो सकती है।

दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर घोलने वाले पुराने वाहनों पर कार्रवाई बेहद सुस्त है। बीते दो वर्ष में अपनी समय अवधि पूरी कर चुके सिर्फ एक फीसदी वाहनों पर ही दिल्ली में कार्रवाई हुई,जबकि एनसीआर के जिले और भी पिछड़े हुए हैं। वहां पर आधा फीसदी भी पुराने वाहनों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है।
यह जानकारी केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट में सामने आई। अलग-अलग शोध बताते हैं कि वाहनों से निकलने वाले धुएं की दिल्ली के प्रदूषण में हिस्सेदारी 42 फीसदी या उससे ज्यादा हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक,आम वाहनों की तुलना में समय अवधि पूरा कर चुके वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता है। इसलिए पुराने वाहनों के संचालन पर रोकथाम की जाती है।
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2023 और 2024 में दिल्ली में सिर्फ एक फीसदी पुराने वाहनों पर ही कार्रवाई की जा सकी। जबकि, हरियाणा के एनसीआर जिलों में केवल 0.15 फीसदी पुराने वाहनों पर ही कार्रवाई की गई। उत्तर प्रदेश में 0.4 फीसदी और राजस्थान के एनसीआर जिलों में 0.24 फीसदी वाहनों पर ही कार्रवाई हुई है। कार्रवाई में सुस्ती का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2023 में हरियाणा के एनसीआर जिलों में 220 वाहनों पर कार्रवाई हुई।